युवाओ मे बढ़ता आत्महत्या की प्रवृत्ति |Increasing suicidal tendency among youth in hindi

युवाओ मे बढ़ता आत्महत्या की प्रवृत्ति (Increasing suicidal tendency among youth)आजकल किशोरावस्था में आत्महत्या का प्रचलन बढ़ना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह परिवार , समाज देश के लिए घातक साबित हो रहा है । जिगर का टुकड़ा जब अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है इसे महसूस करना आसान नहीं है , और  ना ही शब्दों में बयान किया जा सकता है। इस प्रकार के घटनाओ के पिछे अनेक करण जिम्मेदार होते है। मनोचिकित्सकों के अनुसार-

  • शैक्षणिक जीवन में असफलता
  • व्यक्तिगत समस्याएं जैसे प्यार/लव अफेयर्स
  • अभिभावकों कड़ा रुख ,डर की भावना अर्थात मित्रवत वेवहार की कमी।
  • छोटी उम्र में उच्ची उड़ान
  • समाज दवाव समूह के रूप मे काम नही करना
  •  दूसरों से ईर्ष्या
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली

युवाओ  आत्महत्या का कारण (Suicide increasing among youth)

अभिभावको द्वारा देखा देखी अपने बच्चों को डाक्टर इंजिनियर इत्यादि का शिक्षा दिलाना- आजकल एक ऐसा प्रचालन शुरु हो गया है की बच्चे 10वी पास किये नही की उन्हे उच्ची शिक्षा दिलाने के लिए कोटा ,लंदन जैसे नगरो में  भेज देते है।बच्चे आपेच्छित परिणाम नही दे पाते है वैसे मे गार्जियन के डाट फटकार या डर से यह कदम उठा लेते है।

अभिभावकों कड़ा रुख  :- अभिभावकों कड़ा रुख कही ना कंही एक करण बनता है। बच्चों मे अभिभावक भय बना के रखते है। भाग दौड़ की इस जिंदगी में अभिभावक या माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं जिसके कारण बच्चा अकेलापन महसूस करने लगता है और गलत संगति में पड़ जाता है । और अपने आप को सही और गलत का निर्णय नहीं कर पता है ।

लड़के-लड़कियां एक दूसरे के प्रति आकर्षित : पढ़ाई के बोझ में दबे बच्चे रोमांस में सुकून महसूस करते हैं और लड़के-लड़कियां एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। किशोरावस्था में प्यार की रुमानी दुनिया का मजा लेने और प्यार में गिरफ्त होने का जुनून पैदा हो जाता है। निश्चित ही यह प्यार नहीं होता, सिर्फ आकर्षण होता है और जब यह आकर्षण कोई रूप नहीं ले पाता या उन्हें पारिवारिक, सामाजिक बाधा नजर आती है, तो अपरिपक्वता की वजह से उन्हें सुसाइड कर लेना ज्यादा आसान रास्ता नजर आने लगता है ।

संयुक्त परिवार का बिखरना- अज का समाज संजुक्त परिवार से दूर एकल परिवार का जीवन यापन कर रहे है ।पति पत्नी अपने बचो को समय नही दे पाते  है ।

माता-पिता का बच्चों के प्रति दोस्ताना व्यवहार का अभाव :-  माता पिता को भी चाहिए कि वो बच्चों के साथ दोस्त की तरह पेश आएं। बतौर पेरेंट्स अपने बच्चे से खुलकर बात करें। उन्हें ऐसा महसूस करवाएं कि घर उनकी सुरक्षित जगह है और वह बिना किसी झिझक/जजमेंट के अपने दिल की बात खुलकर आप से कह सकता है। इस उम्र के बच्चों की गतिविधियों और परिवर्तनों पर बारीकी से नजर बनाये रखने की जरूरत है। उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें और ध्यान रखें कि उनकी बात बिना किसी रोक-टोक या खारिज किए बिना ध्यान से सुनें। अपने बच्चों की जिंदगी में दिलचस्पी दिखाएं और एक्टिव तरीके से शामिल रहें। उनके स्कूल के इवेंट्स का हिस्सा बनें, उनकी हॉबीज को बढ़ावा दें और साथ में क्वालिटी समय बिताएं। बच्चे के साथ एक खास रिश्ता बनाएं, जिससे उन्हें आपका सपोर्ट और उनके प्रति आपकी फिक्र का एहसास हो।

युवाओ  आत्महत्या के लक्षण (Signs of Youth Suicide)

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि युवाओं में आत्महत्या के लक्षण जब दिखाई पड़ने लगे तो वैसे स्थिति में अभिभावकों द्वारा बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है । जैवीय लक्षण दिखाई पड़े तो सतर्क हो जाना चाहिए-

  • मरने और मारने का बात   करना
  • स्वयं को मंरने   तरीका खोजना
  • पढ़ाई को बोझ समझना
  • निराशा एवं बिना किसी उद्देश्य से जीने की बात करना
  • दूसरे पर बोझ होने की बात करना
  • नशे इत्यादि का उपयोग करना
  • बहुत कम या अधिक सोना
  • गुस्सा अधिक करना
  • परिवार से कटे कटे रहना इत्यादि

उपरोक्त लक्षण जब बच्चों में दिखाई पड़ने लगे तो परिवार को सतर्क हो जाना चाहिए और बच्चे के इस व्यवहार को दूर करने का आवश्यक प्रयास करना चाहिए । बच्चों का यह उम्र कच्चे घड़े की तरह है जिस रूप में आप ढालेंगे वही रूप तैयार होगा  ।

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