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गौतम बुध के पूर्व जन्मो की प्रेरक जातक कथा | बुद्धि ही महान लोक कथा

झारखंड की सांस्कृतिक धरती पर रची गई यह प्रेरक कथा केवल जंगल की राजनीति नहीं, बल्कि जीवन की गूढ़ सच्चाइयों को उजागर करती है। “बुद्धि ही महान” एक ऐसी कहानी है जो शक्ति, स्वार्थ, निष्ठा और विवेक के बीच के संघर्ष को दर्शाती है — ठीक वैसे ही जैसे जातक कथाओं में गौतम बुद्ध के …

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संथाली लोक कथा | सोहराय पर्व की उत्पत्ति: कपिला गौओं का स्वागत और मानव का उत्सव

संताल संस्कृति की जड़ें उस समय की हैं जब पृथ्वी केवल जल से ढकी थी और जीवन की कोई स्पष्ट रेखा नहीं बनी थी। उसी अनादि काल में ‘ठाकुर जिउ’ — सृष्टिकर्ता — ने दो मानव शिशुओं को जन्म दिया, जो ‘हांस-हांसिल’ पक्षियों के घोंसले में उत्पन्न हुए थे। यह कथा केवल एक पौराणिक आख्यान …

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santhali lok katha

संथाली लोक कथा | बेझा की कथा- सांप के दांत और बहन की बुद्धिमत्ता | संताल समाज की सांस्कृतिक परंपरा | santhali lok katha bejha ki khatha

संथाली लोक कथा |बेझा की कथा: लोककथाएँ किसी समाज की आत्मा होती हैं — वे न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि उस संस्कृति के नैतिक मूल्यों, परंपराओं और सामाजिक संबंधों को भी उजागर करती हैं। “बेझा की कथा ( bejha ki khatha): सांप के दांत और बहन की बुद्धिमत्ता” एक ऐसी ही संताल लोककथा है, …

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संथाली लोक कथा – बारे इतातू: भाई का धनुष, बहन की रक्षा” |संताल समाज की परंपरा पर आधारित एक प्रेरणादायक कहानी

भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत में लोककथाएँ केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे समाज की परंपराओं, मूल्यों और ऐतिहासिक अनुभवों का जीवंत दस्तावेज भी हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक लोककथा संताल समाज से जुड़ी है, जो एक भाई की वीरता, एक बहन की सुरक्षा और एक पिता की मजबूरी को उजागर करती है। …

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कुरमाली लोककथा कर्म और धर्म | करम देवता की प्रेरक कथा

 कुरमाली लोककथा कर्म और धर्म : “कर्म और धर्म नामक दो भाइयों की कहानी है, जो प्राचीन भारत में साथ रहते थे। समय ने उन्हें अलग कर दिया—धर्म ने अपने प्रयास और सिद्धांतों को बनाए रखा, जबकि कर्म भाग्य के भरोसे हो गया। कर्म की पत्नी ने एकादशी व्रत तोड़ा और तभी उनके जीवन में …

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खोरठा लोककथा, सोहराई पर्व, फुचु और फुदनी | khortha lok katha sohraie ke prtap

खोरठा लोककथा: सोहराएक परताप : लोककथाएं किसी भी समाज की सांस्कृतिक स्मृति होती हैं। यह कथाएं न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को भी पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित करती हैं। खोरठा लोककथाओं की यह परंपरा भी अत्यंत समृद्ध है। प्रस्तुत कथा “सोहराएक परताप” एक ऐसी मार्मिक प्रेमकथा है जो प्रेम, लोकविश्वास और जीवन …

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करमू-धरमू: एक संताली लोककथा

Karamu-Dharmu: Santali lok katha | करमू-धरमू: एक संताली लोककथा

करमू-धरमू: एक संताली लोककथा (Karamu-Dharmu: Santali lok katha) झारखंड की धरती लोककथाओं की गूंज से सदियों से जीवित रही है। यहाँ की संताली जनजाति में ऐसी अनेक कथाएँ मिलती हैं जो समाज के नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती रही हैं। ऐसी ही एक कथा है—”करमू-धरमू” की, जो केवल दो …

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Jharkhandi lok katha Jhade or khade | झारखंडी लोक कथा झाडे और खाडे

 झारखंडी लोक कथा (jharkhandi lok katha)  मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहा है । लोक कथा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था हालांकि संचार क्रांति के इस दौर में दादा-दादी या नाना नानी के मुंह से लोक कथा ना सुनकर मनोरंजन करने के उद्देश्य लोग गूगल से पूछ कर …

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jain ki kahani Panditji or shopkeeper| जैन धर्म की कहानी पण्डितजी और दुकानदार

जैन धर्म की कहानी- पण्डितजी और दुकानदार (jain ki kahani Panditji or shopkeeper) यह प्रसंग  काशी के  पण्डित फूलचंदजी सिद्धम्तशास्त्री,के द्वारा   फतेपुर (गुजरात) में हुई जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रसंग पर सुनाया था । जो जैन धर्म की कहानी पुस्तक में Panditji or shopkeeper पण्डितजी और दुकानदार शीर्षक के रूप में  संकलित है ।कहानी इस …

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संथाली लोक कथा किसान और केकड़ा | santhali lok katha kishan or kekda |folk tale |folk story

santhali lok katha kishan or kekda :- किसी गांव में एक किसान रहता था । उसके यहां एक हरवाहा (हल चलाने वाला मजदूर) था।  हरवाहा ईमानदार और बहुत मेहनती था। जिसके कारण उसका मालिक बहुत खुश रहा करता था। एक बार बरसात के दिनों में हरवाहा (हल चलाने वाला मजदूर)खेतों में काम करने गया। खेत …

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