Rugda | रुगडा या फुटको | झारखंड के स्वादिस्ट व्यंजन रुगडा / फुटको

 

झारखंड प्रकृति की गोद में बसा एक ऐसा राज्य है जहां प्रकृति ने झारखंड को कई उपहार दिए हैं; उसमें से एक है जंगली उत्पाद, रुगडा (Rugda) /फुटको। बरसात के मौसम प्रारंभ होने के साथ जंगलों में रगड़ा मिलना प्रारंभ हो जाता है। इसे जंगली मशरूम भी कहा जाता है इसका वैज्ञानिक नाम लाईपन पर्डन है।  स्थानीय लोग इसे रुगडा या फुटको के नाम से  जानते हैं। यह एक ऐसा दुर्लभ वन उत्पाद है जो भारतवर्ष के एकमात्र राज्य झारखंड के साल जंगलों में बहुताय मात्रा में पाया जाता है । झारखंड के स्थानीय बाजारों में जून-जुलाई एवं अगस्त महीनों में 200 से ₹400 किलो मिलना प्रारंभ हो जाता है।

jharkhand me rugda

रुगड़ा कहां मिलता है ?

रुगडा (Rugda)/फुटको भारतवर्ष के झारखंड राज्य में बहुताय मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावे छत्तीसगढ़, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल के झारखंड से सटे सीमावर्ती जंगलों में मिलता है। रुगडा या फुटको झारखंड के सभी जंगलों में नहीं मिलता है यह सिर्फ साल या सुखवा के घने जंगलों में वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के साथ मिलना प्रारंभ हो जाता है। इन घने जंगलों में खोज पाना आम लोगों के लिए नामुमकिन है। यहां के स्थानीय आदिवासी -मूलवासी जो इसे परिचित हैं घने जंगलों में जाकर खोज निकालते हैं। झारखंड झारखंड राज्य के खास कर के रांची, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, चतरा ,गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, पश्चिम सिंहभूम जिलों में पाया जाता है ।

रुगडा या फुटको कैसा दिखता है ?

रुगडा (Rugda) /फुटको मसरूम प्रजाति का एक छोटा आलू की तरह सफेद मटमैला भूरा रंग का होता है। ऊपर में मोटी कड़ी मुलायम दार आवरण से ढका हुआ अंदर से सफेद काला  भूरा रंग का मसल  होत। इस के संपूर्ण भाग को खाया जाता है। इसके 12 प्रकार के प्रजाति पये जाते हैं। सफेद  सर्वाधिक पोस्टिक और खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। भूरे रंग के रुकड़े को चंदन फुटको के  नाम से जानते हैं।

Rugda

रुगडा या फुटको कब मिलना प्रारंभ होता है ?

रुगडा (Rugda) /फुटको वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के साथ  ही झारखण्ड के साल वनों में मिलना शुरू हो जाता है। यह आषाढ़ से सावन मास अर्थात जून के आखिरी माह से मिला प्रारंभ होता है जो लगातार अगस्त माह तक मिलते रहता है। यहां के आदिवासी मूलवासी घने जंगलों से उठाकर स्थानीय बाजारों में 200 से ₹400 केजी बेचते नजर आ जाएंगे। हालांकि वर्तमान समय में रुगड़ा या फुटको के मांग को देखते हुए झारखंड राज्य के राजधानी के सभी चौक चौराहों पर नजर आ जाएगा।

स्वास्थ्य के लिए  फायदेमंद –

रुगडा (Rugda) /फुटको स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। एनीमिया, खून की कमी, पीड़ित रोगियों के लिए  काफी फायदेमंद होता है।  दिल के मरीज ,ब्लड प्रेशर ,मधुमेह रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद  माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं- 100ग्राम रुगडा या फुटको  में 3. 68 ग्राम प्रोटीन, 0.42 ग्राम फैट, 3.11 ग्राम फाइबर, 1.98 ग्राम कार्बोहाइड्रेट इत्यादि

रुगडा या फुटको को कैसे बना कर खाएं ?

रुगडा (Rugda) /फुटको स्वादिष्ट व्यंजन के लिए जाना जाता है । इसके स्वाद को देखते हुए तथा इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व के कारण वेज मटन के नाम से भी जाना जाता है। रुगडा या फुटको बनाने के तरीके हैं – सबसे पहले इसे अच्छी तरह साफ पानी से धोकर साफ कर ले। अच्छी तरह साफ कर लेने के बाद दो टुकड़ों में काट लिया जाता है । उसके बाद गरम आंच पर आवश्यकतानुसार सरसों तेल में फ्राई कर निकाल कर रख लिया जाता है। उसके बाद आंच पर कड़ाही में सरसों तेल डालकर जीरा तेजपत्ता को फ्राई करेंगे उसके बाद कटा हुआ प्याज फ्राई करेंगे , प्याज भून जाने के बाद  आवश्यकतानुसार मसाले का पेस्ट डालकर अच्छी तरह से भून लेंगे। फराइ कर रखा हुआ रुगड़ा को कड़ाही में डालकर कुछ देर भूनेगे उसके बाद हल्का पानी देकर कुछ देर खोलने देंगे। उसके बाद आंच से उतार देंगे। अब यह खाने को तैयार हो जायगा।रुगड़ा बड़े-बड़े रेस्टोरेंट फाइव स्टार होटलओ में मिलना प्रारंभ हो गया है। इस व्यंजन का स्वाद आप वहां भी ले सकते हैं ।

रुगड़ा के ऊपर संकट 

इस दुर्लभ स्वादिष्ट रुगडा (Rugda) /फुटको मशरूम के ऊपर संकट के बादल गहरा रहे हैं। पर्यावरण बदलाव के कारण अब घने जंगलों में पहले के मुकाबले उत्पादन कम हो रहा है। इसकी वजह है पर्यावरण का ह्रास होना। जंगलों की कटाई तथा झारखंड में खनन कार्य के कारण मिलना कम हो गया है। यदि प्रकृति का इसी प्रकार दोहन किया गया तो यह स्वादिष्ट दुर्लभ व्यंजन जो पूरे भारतवर्ष में सिर्फ झारखंड में पाया जाता है वह इतिहास के पन्नों में रह कर सिमट जाएगा। और यहां के लोग इसके स्वाद चखने के लिए तरसते रहेंगे।

         आलेख:-डॉ आनन्द किशोर दाँगी

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रुगड़ा कहां मिलता है

झारखंड झारखंड राज्य के खास कर के रांची, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, चतरा ,गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, पश्चिम सिंहभूम जिलों में पाया जाता है ।

रुगडा (Rugda) या फुटको का वैज्ञानिक नाम क्या है

वैज्ञानिक नाम लाईपन पर्डन है

रुगडा (Rugda) या फुटको कैसा दिखता है ?

मसरूम प्रजाति का एक छोटा आलू की तरह सफेद मटमैला भूरा रंग का होता है।

रुगडा या फुटको कब मिलना प्रारंभ होता है ?

जून के आखिरी माह से मिला प्रारंभ होता है जो लगातार अगस्त माह तक मिलते रहता है।

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