प्रत्येक भाषा साहित्य में महान साहित्यकारों का अभ्युदय हुआ है। किसी महान साहित्यकार का किसी खास भाषा साहित्य में पैदा होना वह साहित्य जगत को को महान बना देता । जिस भाषा में कोई महान साहित्यकार पैदा होते हैं तो अपने आप को गौरवान्वित करते हैं साथ ही हुए भाषा साहित्य के पथ प्रदर्शक होते हैं” । उनमें से एक शिवनाथ प्रमाणिक माणिक ” का नाम लिया जाता है । जो खोरठा भाषा साहित्य, एवं सांस्कृतिक आंदोलन के अगुआ के रूप में जाने जाते हैं। खोरठा भाषा और साहित्य को स्थापित करने में श्रीनिवास पानुरी और ए.के. झा जी के बाद सबसे अधिक चहूँदिक प्रयास किसी ने किया है तो प्रमाणिक जी का नाम लिया जा सकता है। वे एक साथ कवि, गायक, प्रभावशाली वक्ता और कुशल संगठनकर्ता के रूप में खोरठा जगत में प्रथम पंक्ति में स्थापित हैं। महान साहित्यकार से हमारी आखिरी टेलिफोनिक बात हुई थी तो उन्होंने पत्रिका के संबंध में कहा था “खोरठा टाइम्स पत्रिका के जिन्दा रखियो देर सबेर निकलते रहियो ” यह बात हमारे जेहन में बैठा हुवा था । मैंने सोच लिया था इस पत्रिका का जब कोइए अंक निकलेगा तो इस महान साहित्यकार को समर्पित रहेगा। आज अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं की यह अंक शिवनाथ प्रमाणिक मानिक को समर्पित है । इस पत्रिका को आप तक लाने में खोरठा भाषा के दिग्गज साहित्यकारों का विशेष योगदान है । श्री शिवनाथ प्रमाणिक के भेंट मुलाकात ,गीत कविता उनकी रचना तथा उनके रचनाओं का साहित्य जगत में स्थान इत्यादि रचनाओं से यह पत्रिका पाटा गया है ।
यह पत्रिका खोरठा साहित्य जगत के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित हो सकता है । मुझे आशा है की खोरठा भाषा साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित यह पत्रिका आप लोगों को जरूर पसंद आ रहा होगा । इस संबंध में अपना सुझाव हमें जरूर दें और पत्रिका को नियमित प्रकाशित करने में अपनी रचना को भेज कर सहयोग प्रदान करें खोरठा भाषा साहित्यकार शिव नाथ प्रमाणिक मानिक को समर्पित खोरठा टाइम्स पत्रिका का यह अंक आपके समझ प्रस्तुत है ।
धन्यवाद
डॉ. आनंद किशोर दांगी
संपादक- खोरठा टाइम्स पत्रिका
खोरठा टाइम्स पत्रिका अंक-04
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