खोरठा कवियों की प्रमुख रचनाएँ | Khortha kaviyon ki pramukh rchna
खोरठा भाषा साहित्य में भी अन्य भाषाओं की तरह शिष्ट साहित्य का विकास पद्य साहित्य से ही प्रारम्भ हुआ है। सामान्यतः 16 वीं -17 वीं शताब्दी में पद्य – साहित्य की रचना प्रारम्भ हो गई और 1960 दशक के बाद पद्य – साहित्य के सारे विधाओं में रचना उपलब्ध होने लगी है। खोरठा कवियों की रचनाएँ ( Khortha kaviyon ki pramukh rchna) यहाँ संक्षिप्त रूप में उल्लेख करना उचित समझता हूँ ।
खोरठा खंडकाव्य
मेघदूत :- इस काव्य का प्रकाशन 1968 ई . में हुआ । रचनाकार श्री निवास पानुरी जी हैं । यह कालीदास रचित मेघदूत का खोरठा अनुवाद है । इस रचना के संबंध में ‘ डॉ . वीर भगत तलवार ‘ कहते हैं- “ खोरठा में मेघदूत पढ़कर यह जरा भी नहीं लगता है कि मेघदूत किसी अन्य भाषा की कविता है , वह तो श्री निवास पानुरी के गांव की कहानी है ।
रामकथा अमृत :- 1970 में श्री निवास पानुरी जी द्वारा रामकथा पर आधारित खण्ड – काव्य की रचना की है । इस काव्य में राम कथा को छोड़कर सभी मौलिक हैं ।
युगेक गीता :- श्री निवास पानुरी द्वारा साम्यवादी विचारधारा पर आधारित खण्ड – काव्य की रचना 1968 में की गई थी ।
दामोदर कोरांञ् :-शिवनाथ प्रमाणिक द्वारा काल्पनिक पात्र कमल और सरंचीक प्रेम कथा को लेकर रचना की गई है , जिसका प्रकाशन 1987 में हुआ ।
समाजेक सरजुत निसइन :- खोरठा भाषा के प्रगतिशील कवि श्री अजीत कुमार ‘ झा जी द्वारा लिखा गया है । यह रचना जनवादी विचारधारा से प्रभावित है ।
जयदेव झूमर :- विश्व प्रसिद्ध प्रसिद्ध कवि जयदेव की अमर कृति गीत गोविन्द का खोरठा अनुवाद झुमर रूप में खोरठा कवि शेखर गावार द्वारा रचित है ।
धरतीक देवता बिरसा भगवान :- श्री धनपत महतो गणपति द्वारा रचित धरतीक देवता बिरसा भगवान ‘ प्रबन्ध काव्यानुमा एक लोक काव्य है । इसमें झारखण्ड के महान लोकनायक बिरसा भगवान के वैविध्यपूर्ण जीवन और उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को अत्यंत ही यथार्थपूर्ण परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है ।
डीडाक डोआनी :– श्री वंशीलाल वंशी द्वारा रचित खण्ड – काव्य डिडाक डोआनी महुआ और करमा के प्रेम कथा पर आधारित है । इसका प्रकाशन 1992 में किया गया ।
मुक्ति डहर :- श्याम सुन्दर महतो ‘ श्याम ‘ की रचना है , जिसमें शक्तिनाथ महतो की गाथा गायी गई है । शक्तिनाथ महतो झारखंड के एक लोकप्रिय तथा शक्तिशाली सपूत थे । वे उलगुलान के मार्ग पर चलते शहिद हो गये थे । प्रकाशन 1995 में हुआ ।
भीस्मेक सत:– महाभारत के पात्र भीष्म के चरित्र पर आधारित खण्ड – काव्य की रचना फुलचंद महतो द्वारा की गई , जिसका प्रकाशन 1993 ई . में हुआ । खोरठा
गीतांजली :- विश्व प्रसिद्ध कवि रविन्द्रनाथ की रचना गीतांजली का खोरठा काव्यनुवाद मनमोहन पाठक द्वारा रचना की गई , जिसका प्रकाशन 1998 ई . में हुआ ।
चैडराक मुंडे बेल :- 1998 में प्रकाशित श्याम सुन्दर महतो द्वारा लिखित उनका दूसरा खण्ड – काव्य है । कल्पित पात्र ‘ चेडराक ‘ उपर लिखा गया है ।
माराफरी:- जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘ कृत माराफरी खण्ड – काव्य में कवि ने ‘ भूमिका ‘ के रूप में उपस्थित ‘ आपन गाँव माराफरी ‘ में अपने गाँव के इस नामकरण के संबंध में एक किवंदन्ती प्रस्तुत की है । प्रकाशन 2000 ई . में किया गया ।
खय्याम तोर मधुर गीत:- विश्वनाथ प्रसाद नागर द्वारा रचित है । जिसका प्रकाशन 2004 ई . में किया गया ।
सुलकसाय :- का शाब्दिक अर्थ अग्निपुत्र , गुदड़ी का लाल है । यह रचना महारथी कर्ण के जीवन पर आधारित हैै इसका प्रकाशन 2005 हुआ।
बावां हाथेक रतन :- सुकुमार जी द्वारा रचित खण्ड – काव्य बावां हाथेक रतन बाबा भीम राव अम्बेदकर के उपर लिखा गया है । इसका प्रकाशन 2009 ई . में हुआ ।
अंगूठा :- डॉ . महेन्द्रनाथ गोस्वामी सुधाकर जी द्वारा लिखित खण्ड – काव्य महाभारत के तिरस्कृत पात्र एकलव्य पर लिखा गया है ।
कविता संग्रह (मुक्त काव्य)
बाल किरण, दिव्यजोति ( कविता संग्रह) :-1954 ईसवी में श्री निवास पानुरी जी द्वारा रचना की गई ।
खोरठा काठे पाइदेक खंडी :- ए . के . झा जी द्वारा लिखा हुआ यह प्रगतिशील मानवादी कविता संग्रह है । यह 1968 से 1983 के बीच लिखी गई और 1983 ई . में प्रकाशित हुई
रूसल पुदुस :- शिवनाथ प्रमाणिक की रचना 1985 ई . में प्रकाशित किया गया । यह कविता संग्रह प्रवृति झारखण्ड के मुक्ति , मानवादी और प्रगतिशील विचार रखा गया है।
एक मोनी फूल :- इस कविता संग्रह के रचनाकार संतोष कुमार महतो द्वारा रचित प्रगतिशील यथार्थवादी कविताओं का संग्रह है । इसका प्रकाशन १६८७ में हुआ ।
कादो फूल :- धनपत महतो ‘ गणपति ‘ द्वारा रचित कविता संग्रह का प्रकाशन १ ९ ८६ ई . में हुआ ।
एक पथिया डोंगल महूआ :- संतोष कुमार महतो द्वारा सम्पादित एक प्रगतिशील कविता है , जिसमें अनेक कवियों की कविता संग्रह है ।
पुटुस फूल :- डॉ . गजाधर महतो प्रभाकर के कविता संग्रह है । इस कविता संग्रह में पसरल भ्रष्टाचार आर विसंगति को दिखाया गया है ।
पइन सोखा :- सुकुमार जी द्वारा लोक विषयक गीतों का संग्रह है । ये सभी गीत लगभग लगभग आकाशवाणी से प्रसारित हो चुके हैं ।
माटिक महक:- डॉ आनंद किशोर दांगी द्वारा रचित 17 कविताओं का संग्रह है। जिसमें वर्तमान समय की सामाजिक उपज के ऊपर कविता रची गई है।
सीतल सांडा :- कृष्ण चन्द्र आला का व्यक्तिगत कविता संग्रह है , जिसमें प्रगतिशील और यथार्थवादिता को दर्शाया गया है ।
बेलदरी :- – शांति भरत द्वारा लोकगीत संग्रह है ।
खोरठा गीत संगरह :- पांडे गरीब के एकल कविता संग्रह है , जिसमें लोक – जीवन के सुख – दुःख को दिखाया गया है।
कोरइआ फूल :– बसु बिहारी द्वारा श्रृंगार रस के गीत संग्रह है ।
बनेक बोल :- विभिन्न प्रगतिशील कवियों की कविता संग्रह है । संग्रहकर्ता रमणिका गुप्ता ।
कविता पुराण :- ए . के . झा द्वारा रचित बाल कविता संग्रह है ।
तातल हेमाल :- शिवनाथ प्रमाणिक की कविता संग्रह है ।
चांदिक जुता :- खोरठा कविता संग्रह जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘ द्वारा खोरठा साहित्य में पहला व्यंग्य रचना है ।
सतइल साडा :- कृष्ण चंद्र दास आला द्वारा रचित कविता संग्रह कविता समाज की विसंगतियों पर आधारित हैं ।
पुटुस आर परास :- विश्वनाथ दसौंधी ‘ राज ‘ द्वारा रचित कविता संग्रह 2004 में प्रकाशित हुई , जिसमें 10 कविता संग्रह है ।
झुमर एकइसा :- देबु लाल गोस्वामी द्वारा खोरठा रगचंगिया झूमर संग्रह है।
दूडाइर जिरहूल फूल- यह पुस्तक गद्य और पद्य संग्रह के रूप में है । इसका सम्पादन खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद बोकारो द्वारा किया गया है । पद्य भाग में 24 कविता संग्रह हैं । यह पुस्तक झारखण्ड अधिविद्य परिषद , राँची द्वारा स्वीकृत माध्यमिक विद्यालय खोरठा पाठ्यक्रम 10 वर्ग के लिए है ।
सवले बीस कविता संग्रह :-भी निवास पानुरी जी का है , इस पुस्तक के सम्पादक गिरधारी गोस्वामी आकाश ‘ खूँटी ‘ ने की है ।
आंखीक गीत :- श्री निवास पानुरी जी की 72 कविताओं का संग्रह है । इस पुस्तक के सम्पादक ( संग्रहकर्ता ) श्री नारायण महतो हैं ।
मदनभेरी :- खोरठा गीत संग्रह सुकुमार जी द्वारा संग्रहित है । इस पुस्तक में 32 कविता विभिन्न कवियों की है ।
परास के फूल :- खोरठा कविता एवं गीत संग्रह महेन्द्र प्रबुद्ध की है , जिसमें 29 कविताओं का संग्रह है ।
के तोंञ्- कविता संग्रह :- पारसनाथ महतो की है।
जिनगिक भेउ :– प्रगतिशील विचारधारा पर आधारित कविता संग्रह परितोष कुमार प्रजापति की है , जिसमें 22 कविता हैं।
कादो फूल :- कादो फूल देशभक्ति , ग्रामीण चित्रण शिक्षा एवं विनोद वचनों से संबंधित 3 कविताओं का संग्रह है । इस पुस्तक की रचना धनपत महतो गणपति ने की है ।
लोर :-खोरठा कविता संग्रह जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘ की है , जिसमें 21 कविताओं का संग्रह है ।
महुआ :- मनपूरन गास्वामी द्वारा गीत संग्रह है।
सौंध माटी :- डॉ . विनोद कुमार द्वारा रचित खोरठा कहानी एवं कविता संग्रह पुस्तक का प्रकाशन 1990 में जनजातीय भाषा अकादमी बिहार सरकार राँची द्वारा किया गया ।
खोरठा गइदक पइदेक खंडी :- ए . के . झा द्वारा रचित कविता संग्रह है ।
एक मउनी फूल :- 31 कविताओं का संग्रह संतोष महतो जी का है । इस कविता संग्रह में झारखण्डी समस्याओं को दर्शाया गयाह है ।
लोकगीत झारखण्ड :- खोरठा लोकगीत संग्रहकर्त्ता अजय एवं लोकेश इस पुस् संपादक कैसल अनुराग हैं।
सोहान लागे रे :– खोरठा गीत एवं पहेली संग्रह शेखर शरदेन्दु का है ।
एक टोकरी फूल ( तितकी ):-लोक गीत संग्रह खोरठा ढाकी छेतर कमिटी , कोठार कैथा ( रामगढ़ ) द्वारा किया गया है । खोरठा लोक गीत संग्रहकर्त्ता शिवनन्दन पाण्डे गरीब हैं ।
झींगा फूल :- खोरठा गीत संग्रह घनश्याम महतो की है।
हिलोर :- खोरठा लोक गीत संग्रह जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘ की हैं ।
तोञ् आर हम :- इस पुस्तक के रचनाकार श्याम सुन्दर महतो ‘ श्याम ’ हैं , जिसमें कविता – संग्रह के साथ 140 चिनगिनी ( बाल कविता ) हैं।
रांगालाठी :- विश्वनाथ प्रसाद नागर की कविता संग्रह है । इस कविता संग्रह में प्रकृति के सौन्दर्य , उसके रहस्य , जीवन के सुख – दुःख , आशा – निराशा , संयोग – वियोग , विनोद और मानवीय समस्याओं को दर्शाया गया है।
सेवातिक बूंद :- जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘ हैं । इस पुस्तक में 28 कविताओं को संग्रहित किया गया है।
मानुसेक कद :- मानुसेक कद कविता संग्रह महेन्द्र प्रबुद्ध की है । इसमें 31 कविताओं का संग्रह है , जिसमें झारखण्डी माटीक महक है ।
झिंगुर :– खोरठा कविता संग्रह सुकुमार की है ।
खोरठाक खुँटा तितकी राय :- इस पुस्तक में खोरठा भाषा के प्राचीन कवि तितकी राय के जीवन पर आधारित कविता की रचना मोहम्मद सिराजुद्दीन अंसारी सिराज ने की है।
मधु काव्य :- प्रयाग चंद्र गोस्वामी
खोरठा मुहर :- मुरलीधर महतो
दिनेक दिया दिया :- मोमेरा बेगम
परास फूल :- महेंद्र प्रबुद्ध
घरेक बात :- रामकुमार तिवारी
धोवइआक धमक :- डॉ विनोद कुमार
कोरिया फुल :- बासु बिहारी
उपरोक्त कविताओं के अलावे खोरठा क्षेत्र से प्रकाशित पत्रिका खोरठा , तितकी , लुआठी , करिल , दूलरोउति बहिन अवाज , आखड़ा इत्यादि पत्र – पत्रिका में नियमित कविताओं का प्रकाशन किया जाता है । इसके साथ झारखण्ड से प्रकाशित समाचार पत्र में भी खोरठा कविता को स्थान दिया जाता रहा है। तीन सौ वर्ष पूर्व खोरठा शिष्ट साहित्य का विकास हुआ , जिसक रामगढ़ राजा दलेल सिंह को जाता है । उसके बाद खोरठा पद्य साहित्य का विकास रूक – रूक कर चलते रहा , किन्तु 1960 दशक के बाद इस विधा में तेजी आयी और साहित्य के हर विधाओं में रचना मिलने लगी और इस समय कविताओं की मुख्य विशेषता झारखण्डी समस्याएँ , संस्कृति , जनवादी यर्थाथवादी , समाज सुधार इत्यादि पर केन्द्रित कर ही रचना की गई । सूचना तकनीकी के विकास के कारण इस क्षेत्र में काफी प्रगति देखने को मिल रही है ।
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खोरठा गद्य साहित्य का विकास | Khortha gady sahitya ke vikas |
Q. खोरठा पद साहित्य का प्रारंभ कब माना जाता है?
Ans. – 16वीं 17वीं शताब्दी के आसपास राजा दलेल सिंह के रचनाओं से माना जाता है
Q. दामोदर कोराई पद साहित्य की कौन सी विधा है? और इसके रचनाकार कौन हैं?
Ans. – खंडकाव्य है और इसकी रचना शिवनाथ प्रमाणिक के द्वारा की गई है.
Q. मेघदूत के रचनाकार कौन है?
Ans. – मेघदूत के रचनाकार कालिदास है
NOTE
खोरठा में इसका अनुवाद श्रीनिवासपुरी जी के द्वारा की गई है.
Q. सोंध माटी किसकी रचना है?
Ans. – डॉ विनोद कुमार
Q. साठोत्तरी खोरठा पद्य साहित्य के रचनाकार कौन हैं ?
Ans. – डॉ आनंद किशोर दांगी