खोरठा कवि मोती राय तितकी राय | khortha kavi titki ray

मोती राय

जन्म:-

मृत्यु:-1959

पता :-

रचना:- कुँवर विजय मल्ल,

मोती राय की आवाज ‘ कांसा ठोकल ‘ जैसा निकलती थी , उनके गीत में सभी जब वे वीर रस के गीत गाते थे , ऐसा लगता था मानों और आँखों देखी हाल सुना रहे हैं । प्रकार के रस पाया जाता था । सामने मैदान में युद्ध हो रही है मोती राय सिर्फ अपना कला , आवाज , अंदाज और ताल लय छंद रूप के सुनाते थे । मोती राय कुंअर विजय मल के विषय में गीत जब सुनाते ते , तो एक मजलिस में सन्नाटा छा जाता था अर्थात् मोती राय जी जब कोई गीत सुनाते थे गीत से मानो मधु की रस टपक रही हो । कुँवर विजयमल गाथा के कुछ अंस

पहिले जनम लेलइ कुँवर विजय मलवा

जनमइते चाइरो पोवा धसलइ , ये ना …

. एहे रे धरतिय में जनम लेलइ बीरवा

छठी राती लिखलय विहवा , ये ना …

. सुरंग रानी और सदाविरिह गाथाक एक झलक

चंपा रे फुली गेलइ , केवडा रे फुली गेलइ

इसी प्रकार मोती राय जी ने खोरठा भाषी क्षेत्र एवं समाज में एक खोरठा कवि एवं गायक के रूप में सेवा की । अन्ततः 1959 में एक लम्बी बीमारी से मृत्यु हो गई । ये अपनी पूरी जीवन खोरठा भाषा के उत्थान में लगाये रखे और बहुत नाम कमाया, किन्तु बहुत दुःख की बात है कि इनकी रचना को संजो  कर नहीं रखा जा सका । यह मौखिक रूप से चलती रही , लेकिन उनकी कुछ रचना खोज बीन मो . सिराजउद्दीन अंसारी सिराज ने की है ।

तितकी राय (khortha kavi titki ray)

पिता :- मोती राय 

पता :- माराफारी

रचना:-  कोई रचना नही है उनके द्वारा गयी गयी कविता ,गीत का संकलन का काम मो सिराजउद्दीन अंसारी सिराज ‘खोरठा के खुटा तितकी राय में किया है।

तितकी  राय , मोती राय के पुत्र थे और तितकी राय को गीत संगीत एवं कविता रचना , उन्हें अपने पिता से विरासत के रूप में मिला । पिता समाज में किसी विशेष अवसर पर गीत एवं कविता सुनाने का काम करते थे , जैसे विवाह , छठी , सुन्नत और पर्व – त्योहार के अवसर पर गाते थे , किन्तु उनके पुत्र तितकी राय अपने पिता के लकीर से हट के अपना कार्य क्षेत्र अपनाए , जैसे- बड़े – बड़े विद्वान , घनि , बुद्धिजीवी वर्ग और राजा राजवाड़े के दरवाजे जाकर अपनी रचना , गीत कविता खोरठा भाषा में सुनाते थे । सन् 1952 ई . में पदमा महाराजा कामाख्या नारायण सिंह के समक्ष सुनाए गीत का अंश है-

सुना आइज काइल के ठेकान

गरीब , रेय्यत आर किसान

कांग्रेस सताया रहल हे जान

हिन्दुस्तान में हिन्दु मुसलमान ।

एकर राइज में बइमान

सुना भाई इन्सान

तितकी राय गीत या कविता रचने में समय नहीं लेते थे। कोइ घटना विशेष पर गीत कविता की रचना कर सुना दिया करते थे। तितकी राय की अनेक कविता की रचना की किन्तु दुर्भाग्य है कि लिखित रूप में उनकी रचना उपलब्ध नहीं रह पाई । मौखिक रूप में समाज में कहीं किसी बुजूर्ग के पास रही और इस पुस्तक में संकलन का कार्य ‘ मो . सिराजउद्दीन अंसारी सिराज ‘ , खोरठाक भाषाक पद्य – साहित्यक के उद्भव विकास में एक कड़ी जोड़ने का कार्य किया ।

 

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