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खोरठा भाषा की लिपि | खोरठा भासाक लिपि | Khortha bhasha ki lipi

खोरठा भाषा की लिपि | खोरठा भासाक लिपि | Khortha bhasha ki lipi

खोरठा भासाक बर्तनी लेखन

यदि खोरठा भाषा के ध्वनि को आप समझ जायेंगे तो खोरठा भाषा लिखना और पढ़ना बहुत ही आसान हो जायेगा। खोरठा भाषा की लिपि (Khortha bhasha ki lipi) नहीं होने के कारण इसे हम देवनागरी लिपि में प्रयोग करते हैं। देवनागरी लिपि में खोरठा की ध्वनियों को किस प्रकार हम उच्चारण करते हैं और किस प्रकार हम लिखते हैं उसे आप यहां देख सकते हैं। इन ध्वनियों को  आप अच्छी तरह समझ लेते हैं तो खोरठा लिखना पढ़ना आप अच्छी तरह से समझ जाएंगे और सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए आप अच्छे नंबर प्राप्त कर सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर मैं यहां खोरठा बरतनी लेखन को खोरठा भाषा में लिखा हूं।

खोरठा कैसे लिखें और पढ़ें

भासाक आधार हव हे ध्वनि आर ध्वनिक मेल से बनो हइ सबद । पइत सवदेक कोन्हों न कोन्हों अरथ हव हे आर उ अरथे डंडा जा हे भसाक आकार । इ भासा मोखिक बा लिखित रूपें बचकल जा हे । मकिन भासाक लिखित रूप बनवे खातिर विकास भेल लिपि आर लिपि से विकास भेल शिष्ट साहित । मनेक ई बात साफ हइ कि अगू भासाक बनलक आर तकर ढेइर पिछु उ भासाक ध्वनि गुलाक उखरावे खातिर लिपि बनलक । मकिन लिपि बनवेक टा खेइल नांञ । ईटा एगा कठिन काम । भास विगिआनी सब मानल हथ कि मोटा – मोटी 10,000 ( दस हजार ) ई . पू . से लिपि बनवेक टेढ़ा – मेढ़ा परिआस सुरू भइ गेल आर 400 ई . पू . आइते आइते लिपि एगों स्वरूप ग्रहण करे लागल । आइज लिपि आपन विकार्सेक डहरें जहां डंडाइल हे ऊ हरे चित्रलिपि – सुत्रलिपि – प्रतिकात्मक लिपि – भावमूलक लिपि – भासा ध्वनिमूलक लिपि – ध्वनिमूलक लिपि के डहरें चलेक बाद आइल ।

Khortha bhasha ki lipi ki uchacharn

जहां तइक खोरठा भासाक लिपिक सवाल हइ तउ ई भासाक जनम से देखल जा हे । कहल जा हे कि खोरठा भासाक जनम खरोष्ठि लिपि से भेल हइ । खरोष्ठि लिपि अस्तीत्व नांञ हवेक चलते ई भासाक उखरावेक लाइ नागरी लिपि में के परजोग करल जा हे । अब इटा हिञा देखके दरकार हइ कि नागरी लिपि खोरठा भासाक ध्वनि गुलाक प्रतिनिधि की रंग करत हे ।

बेंजन ध्वनि – क ख ग घ ( ड . ) च छ ज झ ञ् ट ठ ड़ ढ़ ( ण ) त थ द ध न पफ ब भ म ( य ) र ल व श ) ( घ ) स ह ( क्ष ) ( त्र ) ( ज्ञ ) ( ॠ )

ध्वनि और वर्तनी लेखन ध्वनि के मेल से बनो हे सबद आर उकर सारथक अरथे डंडा जा – हे भासाक आकार सइले कोन्हो भासाक ध्वनिक आपन महत हवो है । ध्वनिक लेन – देन नांञ हव हे । मने कोन्हो भासाक आपन ध्वनि हव हे सइ रकम खोरठा भासाक अपन ध्वनि पावल जा है ।हिञा देखल जाइ

स्वर ध्वनि –स्वर ध्वनि उ ध्वनिकि कहल जा हे जेकरा बोलें कोन्हो हिचकी नांग हव – हें मने बिना बाधा बा रोक – टोक के सहजे करल जा हे । इकरा उचारनें कोनें दोसर ‘ वर्ण ‘ के सहायता नांञ लेल जा है । इस निछु – स्वतंत्र रूपे कंठ ले बहराइ जा हे । इकरा उचारने मोटा – मोटी कंठ आर तालु के परजोग करल जा हे जीभ आर ओठ बा दांत के नाञ ।

खोरठा ध्वनि

हस्व- आ,इ, उ

दीर्घ-आ

संयुक्त-ए,ओ

बेंजन ध्वनि- बेंजन ध्वनि वइसन ध्वनि के कहल जा हे जेक उचारन बिना स्वर के लसतंगा के नांञ ह – व हे । मने पइत बेंजन ध्वनिक उचारने ‘ अ ‘ ध्वनि नुकाइल रहो हइ । अके बिना कोन्हों बेंजन ध्वनि पछान नांञ हव हइ। जइसे

बेंजन ध्वनि उ ध्वनि हके जे कंठ ले तो बहरा हे मकिन मुहे कोन्हों न कोन्हों अवरोध कइर देल जा हे उकर बादें मुह ले बहरा हे । खोरठा भासांञ् बंजन ध्वनि ई हइ

कंठ –  क , ख , ग , घ , ह

तालु –   च , छ , ज , झ

मुर्धना ट , ठ , ड , ढ , र

दंत त , थ , द , ध , न , न्हा , ल , लह , स

ओठ प , फ , ब , भ , म , म्ह

Khortha bhasha ki lipi ka prayog kaise kare

अल्प्राण आर महाप्राण

अल्प्राण  वइसन ध्वनिक कहल जा हे जेकर उचारने सांस कम निकलो – हे आर हकार जइसन ध्वनि नांञ , हव हे उकरा अल्प्राण बंजइन कहल जाहे पइत वरग के पहला , तीसरा आर पांचवा अछर अल्प्राण कहल जा हे- जइसे

पहला-क,च,ट, त,प

तीसरा-ग,ज,ड़,द,ब

पांचवा-ङ, इंया, न,म

 ( खोरठाञ्- र , ल ध्वनि अल्प्राण हके ) 

महाप्राण -महाप्राण वइसन ध्वनिक कहल जा हे जेकरा उचारनें हकार जइसन ध्वनि निकलो हइ आर सांस जादे निकलो हइ । पइत बरग के दूसरा आर चोथा वर्ण महाप्राण हकेे

घोष आर अघोष नाद के नजरें जे ध्वनिक उचारने स्वरतन्त्रियां झंकृत हब हे उकरा घोस आर जेकर से इसन झंकृत ध्वनि  निकलें उकरा अघोष कहल जा हे ।

अघोष ध्वनि -क , ख , च , छ , ट , ठत , प , फ , स

घोष ध्वनि – पइत वरग के तीसरा चोथा आर पाचवा अछर आर पइत स्वर ध्वनि घोष ध्वनि कहल जा – हे । जैसे –

ग घ ड़ , ज झ ञ , ड ढ ण , द ध न , ब  भ,म

Khortha bhasha ki lipi kya hai

देवनागरी के अछरेक ओजी खोराज़ परजोग के नियम

खोरठा देवनागरी लिपि प्रतिनिधि की रेंग कर रहल हइ , देखल जाउक

नियम ( 1 ) ‘ ड . ‘ खोरठाञ् अंगा के परजोग नांञ जोदि हब – हे शबदेक आखरीं –

नियम ( 2 ) – ‘ ञ ‘ का उच्चारण संथाली भासा लखे इकर ‘ उच्चारण ‘ ई लखे हब हे जइसे – कोरांञ् ( गोद में ) खोरठांञ् ( खोरठा में ) माइक कोरांञ् छउवा रेगे है । नांञ ( नहीं )  नांञ जानइ ऊ कुछु माइ खाइल नांञ देलक हम बाजर नांञ जाइब नियम

नियम  ( 3 ) – ‘ ण ‘ ( मुर्दुण्य ) खोरठाञ मुर्द्धण्य के परजोग नाञ् करल जा हे । एकर ओजी दन्त्य न लिखन जा है । जइसे बाण -बाणी

वीणा-बिना

नियम ( 4 ) ‘ य ‘ ( अंतस्थ ध्वनि ) के पराजोग

खोरठा में परजोग नांञ । इकर परजोग खारठा में ई लखे हब है

( i ) सबदे सुरू घरी ‘ य ‘ आबे पर ‘ ज ‘ उचारन भइ जा हे जइसे –

यदि -जदि

प्रयोग-परजोग

यम-जम

( ii ) सबदेक मांझे आबे पर ‘ अ ‘ उच्चारण हब हइ जइसे

पियार -पिआर

सियार- सिआर

( iii ) खोरठा व्याकरण और सबदेक आखरी ‘ अ ‘ परजोग दिया -दिआ

पितिया -पितिआ

मटिया -मटिआ

गोतिया- गोतिआ

नियम ( 5 ) अंतस्थ ध्वनि ‘ व ‘ के परजोग

शबदेक पहले ‘ व ‘ आबे पर ‘ ब ‘ भइ जा हे

( i ) वन -बोन

वसन्त -बसनत

( ii ) सबदेक बीचें आऐ पर जे – के ते भइ जा हइ कखनो व हबो हइ

देवता -देबता

पकवान -पकबान

( iii ) बिदेशी शब्दे ‘ व ‘ के स्थान पर ‘ ओ ‘ उच्चारण भइ जा हे ।

वकिल -ओकिल

वजन -ओजन कखनो – कखनो सबदेक मांझा आर आखरी ‘ व ‘ अ भइ जा हे – जवान -जुआन

नियम ( 6 ) – ‘ श ‘ के जगह दन्त ‘ स ‘ भइ – जा है , जइसे शपथ- सपथ

नियम ( 7 ) – मुद्रण्य ‘ ष ‘ खोरगञ् ‘ ख ‘ भइ जा – हे , कखनो ‘ स ‘

वर्षा-बरखा ( बरसा )

मनुष-मनुख ( मनुस )

हर्षा-हरखा ( हरसा )

नियम ( 8 ) – खोरणञ् संयुक्त ‘ ध्वनि ‘ संयुक्ताछर नांञ हे से लागिन खोरठाञ् सयुक्ताछर ध्वनि के ओजी परजोग करल जा है ।

परीक्षा-परीछा

दक्ष-दइछ

नियम (10) – ई, ऊ के परजोग नाँए

दुनो स्वतंत्र रुपे परजोग होवो हइ

नियम ( 11 ) – ऐ,औ ( संयुक्त स्वर ) परयोग नांञ

( संयुक्त स्बर औ अ + उ ध्वनि मिलकर बना है और खोरठा में ऐसा ही लिखा जाता हैं।

औ -अउ

औरत -अउरत

औकात -अउकात

वही लखे ‘ ऐ ‘ ध्वनि ‘ अइ ‘ ध्वनि से बनल हइ

ऐ-अइ

ऐसा-अइसन

कैसा- कइसा

नियम ( 12 ) – ब्यंजन ध्वनि गे लगबल अधार (, ) परजोग खोरठाञ् नांञ् ओकर । ओजी सोझा सोझी ‘ र ‘ के चलन हइ ।

प्रयोग -परजोग

प्रकश-परकास

नियम ( 13 ) – नागरी लिपिक बिसर्ग ( 🙂 चिन्हाब के खोरगञ परयोग नांञ करल जाइ किल कि खोरगञ ई ध्वनि नांञ । दुःख -दुख

निःसंदेह-नि सनदेह

नियम ( 14 ) – अनुनासिक परयोग नांञ किल कि खोरठाञ् इ ध्वनि नाञ्

आँगन -आंगन

अँधेरा-अनधार

धुँआ- धुआ

नियम ( 15 ) – खोरठा भासाञ् संयुक्तछर नांञ मकिन दोसर तेसर भासाक सबद गुलक परयोग बइसने लिख देल जा हइ राष्ट्र संस्कृत महाराष्ट्र आरो आरो

नियम ( 16 ) – बेकहत बाचक संगिआ ( नाम ) जइसन हछ , तइसने लिखल जा हइ । जइसे

प्रमाणिक

वंशी

प्रजापति

शबू

नियम ( 17 ) – खोरठा भासाक कुछ संयुक्त अछरेक परयोग करल जा ई महाप्राण ध्वनि हके एकरा परजोग कोन्हो बात पर जोर देवे खातिर आर आदर बहुवचन करेक लाइ परजोग करल जाहे । न्ह : कोन्हो- कोई , जन्ही – जिधर , दिन्हीं दिन में ही म्ह : हम्ही – मैं ही , काम्ही काम से ही , दाम्ही- दाम से ही रह : खेरा – खरगोश , बेरहा – बार , खोर हा पलटना रह ध्वनि बिहारी भाषाओं मगही , मैथली में ड ध्वनि की प्रतिस्थाप्य हे । मकिन खोरठांग में एकर स्वतंत्र अस्तित्व हे । ल्ह : लेल्हे – आपने लिया । ( आदर / बहुवचन ) खइल्हे – आपने खाया । (आदर / बहुवचन) पइल्हे – आपने पाया । ( आदर / बहुवचन ) – आप गए । ( आदर / बहुवचन ) गेल्हे

बरतनी असुधि आर निदान खोरठा एगो सरल भासा हई । मकिन कोन्हो भासा सिखे – पढ़े से सिखल हइ । बेस लखें लिखे – पढ़े लाए सबद आर बाइक के बेस लेख – सुथ रूपें पढ़ल वा लिखत जाइ । अहे अगिआन चलते भासाञ् असुधि भइ जा हे । कखनो – कखनों एगो छोट लाइन बा बिन्दू अरथ के अनरथ कर दे हई । फाइलेरिया हम खोरठा लिपि समस्या देख लो तोहीन के बेस लिखे पढ़े खातिर खोरठा भाषा के और ज्ञान प्राप्त करे खातिर खोरठा व्याकरण और रचना पढ़ाई जाए सको हइ.

इसे भी पढ़े

खोरठा गद्य साहित्य का विकास

खोरठा भाषा की लिपि क्या है?

देवनागरी

खोरठा भाषा के कितने ध्वनि या अक्षर है?

37

खोरठा भाषा का उच्चारण किसकी प्राथमिकता है?

हरस्वा

खोरठा भाषा में संयुक्त अक्षरों का प्रयोग होता है?

नहीं

खोरठा भाषा में महाप्राणिकरन या घोषी करन होता है?

दोनों होता है

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