jssc khortha syllabus 2022 झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित झारखंड सचिवालय सचिवालय के लिए विभिन्न पदों पर विज्ञापन निकाल चुकी है। इस विज्ञापन में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी 384 पद ,कनीय सचिवालय सहायक 322 पद, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी 245, पद, एवं प्लानिंग असिस्टेंट 5 पद । इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया में तीन पत्रों की परीक्षा होगी ।प्रथम पत्र हिंदी और अंग्रेजी से 120 प्रश्न है। द्वितीय प्रश्नपत्र जनजातीय क्षेत्रीय भाषा से 100 प्रश्न पूछे जाएंगे। और तृतीय पत्र है सामान्य अध्ययन 120 प्रश्न पूछे जाएंगे
अभी इस परीक्षा में द्वितीय पत्र में झारखंड राज्य में बोली जाने वाली जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा( jssc khortha syllabus 2022)को शामिल किया गया है। आज इस आलेख में मैं जनजातीय क्षेत्रीय भाषा खोरठा भाषा में शामिल पुस्तकों के बारे में विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं, ताकि आपको परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न सही-सही ज्ञान हो सके और परीक्षा में सफल हो सके
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा से पूछे जाने वाले प्रश्न का विस्तृत विवरण इस प्रकार है
गद्य भाग
छाह डाहर (कहानी संग्रह):- चितरंजन महतो चित्रा
सोन्ध माटी:- डॉ विनोद कुमार
खोरठा निबंध :-डॉ बीएन अवतार
पद्य भाग
दामोदर कोरांय :- शिवनाथ प्रमाणिक
आंखें गीत :- श्रीनिवासपुरी
खोरठा काठे पदेइक खंडी:- एके झा
एक मउनी फूल:- संतोष कुमार महतो
नाटक
डाह:- सुकुमार
अजगर :- विश्वनाथ दसोंधी
चाबी काठी :-निवासपुरी
उदवासल कर्न :-श्रीनिवासपुरी
साहित्य के अन्य विद्या
संस्मरण
यात्रा विरतान्त
जीवनी
शब्द चित्र
खोरठा व्याकरण
संज्ञा, सर्वनाम, लिंग,वचन,काल,कारक,उपसर्ग, समास इत्यादि।
jssc khortha syllabus 2022, गद्य भाग
छाह डहर:-
पुस्तक की रचना चितरंजन महतो चित्र के द्वारा की गई है ।इस पुस्तक में 10 कहानी लिखी गई है। इस कहानी संग्रह में पहली कहानी छाह डहर है। इसी को शीर्षक बनााक पुस्तक की रचना की गई है । इस पुस्तक में समाज के विभिन्नन प्रकार की विसंगतियों को दिखाया गया है ,और इन विसंगतियों से समाधान कैसे पाया जा सकता है लेखक ने भली-भांति उसका समाधान कहानी के माध्यम से किया है। इस पुस्तक के 10 कहानी इस प्रकार है:- छाँहईर ,बोनेक लोर, हाम कइसे जीयब ,बूबा एगो कहनी कही दे, गुरूजीक फिकिर, समय कटवा तसखेला ,संस्कीरतिक झगड़ा ,चोर डाकू आर लुटेरा, नावाँ जिमीदार, और देवता के खाय गेलइ डाकीन
सोन्ध माटी
सोंध – माटी – “ डॉ . बिनोद कुमार की ‘ सौंध माटी ‘ खोरठा भाषा में साहित्यिक विकास की इस प्रवृति को भली – भांति प्रतिविम्बित करती है । इस पुस्तक में कहानी और कविता संग्रह का संकलन किया गया है । पुस्तक संकलित सभी रचनाओं में साहित्य के लोक और और आधुनिक रूपों की सारी विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं। इस पुस्तक में कहानी और कविता इस प्रकार हैं-
कहानी खंधा
उबार, जिनगीक डोआवनी,धुंवा-धँधा, माय के लोर, अजवाइर भउजी बेड़ाएल चेंगा, एक पइला जोन्डरा,ओढ़ दीदा, मलकी बहु, भीतर बाहर,हुब,
कविता खंधा
आजादीक रइसका,जुवान,माटी, दहेज समजेक करिखा,आस,आजादीक गीत,माटी और संस्कृति, नारी,खोङहर,आँखिक कन्दना
खोरठा निबंध
इस पुस्तक की रचना खोरठा भाषा के साहित्यकार डॉक्टर बीएन ओहदार के द्वारा की गई है। पुस्तक का प्रकाशन जनजातीय भाषा अकादमी बिहार सरकार रांची के द्वारा 1990 से में प्रकाशित की गई है। डॉक्टर बीएन ओहदार के द्वारा इस पुस्तक में 12 निबंध लिखे गए हैं । समाज में उपजी विसंगतियों को बड़ा ही सहज और व्यंगात्मक के रूप में पाठकों के बीच रखे हैं। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध इस प्रकार है:-
सोब टाय चल हे
बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा
बइजका बगरा , काम कम
सर्व धर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता
एगो कुकरेक आत्मकथा
परेमचंद साहितेक सामाजेक सहर सेरेस्तांय जोगदान
भाई – बहिन के शुभ प्यार के प्रतीक परब ‘ करम
‘ फूल कर परब सरहुल आर तकर प्रासंगिकता
छोटानागपुरेक नैनीताल ‘ नेतरहाट
‘ हामिन के ‘ संस्कृति ‘ आर तकर उप रें संकट
खोरठा लेखन परम्परावादी ना जनवादी
हामें खड़ा हो
jssc khortha syllabus 2022 पद्य साहित्य:
दामुदरेक कोराञ (खंड काव्य)
दामोदर कोरांञ् – श्री शिवनाथ प्रमाणिक द्वारा रचित दोमोदर कोरांञ् एक खण्ड – काव्य है । इस खण्ड – काव्य में कथा वस्तु छह भागों में विभक्त किया गया है । 1. मेला , 2. सरंची कमल , 3. राजबइद , 4. हुण , 5. अमर चाटान और 6 हाड़पा ।
(ख) आाँखीक गीत (कविता संग्रह) – :
श्रीननवास पानुरी की कविताओं संकलन श्री नारायण महतो ने किया है।
इस कविता – संग्रह में सबसे अधिक बहत्तर कविताओं का संग्रह है । इस कविता संग्रह का नाम आंखीक गीत के संबंध में सम्पादक महोदय कहते हैं- “ आँखीक गीत ” माने मनेक भाव आंइख द्वारा जाहिर करा | आंइख बहुत कुछ कहे । कखनु खुशीक भावे अथवा मनेक दुःख आँइख जाहिर करल जाय । ” अर्थात् – सुख और दुःख हर भावनाओं को आँख के द्वारा ही देखा समझा, अनुभव किया जा सकता है।
(ग) खोरठाक काठें पइदेक खाँडी
खोरठा भाषा के महान साहित्यकार डॉ एके झा के द्वारा इस पुस्तक की रचना की गई है। कविता के द्वारा समाज में उप जी विसंगतियों को दिखाया है,और उसका समाधान किया है । यह कविताएं यहां के लोगों के विकास की दिशा में अग्रसर होने के निमित्त आमंत्रण स्वरूप है ।
(घ)एक मउनी फूल
संतोष कुमार महतो द्वारा लिखी इस कैट सँग्रह पुस्तक में’ विभिन्न प्रकार की सामाजिक , साहित्यिक रुढियों को तोड़ा है।समाज में फैले भ्रष्टाचार अंधविश्वास , विसंगति , धोखा , छल – कपट को किवता के माध्यम से लोगो तक पहुंचाया है। इस कविता संग्रह में कुल 31 कविता संग्रह है।जिसमे प्रमुख है-
हर हरि मिलन, धधाइल मूसा,बेगन पोड़ा, चंद्र पुराक दर्शन ,चमचा,दलाल, तेल मालिश, धान चोरी,विदाई, इत्यादि।
jssc khortha syllabus 2022 ,नाटक
डाह:–
डाह नाटक खोरठा भाषा के प्रमुख लेखक कवि एवं गीतकार सुकुमार जी द्वारा की गई है।इस नाटक में दो भाई के प्रेम उनका तरक्की को देख कर दूसरे लोगो रहा नही गया और उनके बीच द्वेष ,डाह भर दिया गया और उनका परिवार को बर्बाद कर दिया गया ।नाटक कर बड़ी ही मार्मिक तरीके ठेठ खोरठा सब्दो का प्रयोग कर दिखया है।
अजगर :-
अजगर- श्री विश्वनाथ दसौंथी राज द्वारा लिखित नाटक का केन्द्रीय विषय सामाजिक शोषण और भ्रष्टाचार है। समाज में हो रहे सारे प्रकार के शोषण और परजीवी लोगों की ठगी प्रवृति को चित्रित किया गया है।इस नाटक में समाज के शोषण करी को अजगर का संज्ञा दी है ।जिस प्रकार समाज मे गरीब ,ईमादार ,मेहनत कस लोगों को अजगर रूपी सामंत ,भर्ष्टाचारी, शोषण करी लोग उनको बर्बाद कर देते है। नाटक का केंद्र बिंदु है।
चाबी काठी :-
श्री निवासपुरी जी द्वारा लिखत खोरठा भाषा का दूसरा नाटक है।इस नाटक में गाँव घरों में उत्पन्न समस्याओं को दिखाया है।इस नाटक का केन्द्र बिंदु गरीबी ,बेरोजगारी आदि है।
उदवासल कर्न :-
श्रीनिवास पानुरी जी द्वारा लिखित खोरठा भाषा का पहला नाटक है ।यह नाटक का विषय वस्तु महाभारत काल के उपेछित पात्र कर्ण पर आधारित है ।इस पात्र भले महाभारत युग का है किंतु नाटक कर आज के समाज में ऐसे अनेक कर्ण है जो आज भी उपेछित है ।पनुरी जी बड़ी ही सहज ठेठ खोरठा शब्दों का प्रयोग किये है।
jssc khortha syllabus 2022,साहित्य की अन्य विद्या
जीवनी,
कोई साहित्यकार यदि किसी व्यक्ति के बारे में उनके जीवन के बारे में लिखते हैं, तो उसको जीवनी कहते हैं ।खोरठा साहित्य में जीवनी पर पर्याप्त रचना उपलब्ध नहीं है फिर भी शून्यता से परे विकास की गति को प्राप्त कर चुका है। जीवनी साहित्य से जुड़ी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती चली आ रही है इससे जुड़ी कुछ जीवनी इस प्रकार है:-
- बोडाइल साहितकारक ध्रुवतारा पानुरी जी-प्रदीप कुमार ‘ दीपक
- साहितेक उतराधिकारी पुत्र अर्जुन पानुरी,
- खोरठा खुटा तितकी राय-मो सिराजउदीन सिराज
- खोरठा विद्यपति भव प्रोतोनन्द- विश्वनाथ दसौंधी राज
- बड़का बुज़ुर्ग विरसा -अजीत कुमार झा
- शेख भिखारी -पारसनाथ महतो
खोरठा संस्मरण
सस्मरण – “भावुक कलाकार जब अतीत की अनंत स्मृतियों में से रमणीय अनुभूतियों को अपनी कोमल कल्पना से अनुरंजित कर व्यंजनात्मक संकेत शैली में अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं से विशिष्ट कर रोचक ढंग से यथार्थ रूप में व्यक्त कर देता है, तब उसे संस्मरण कहते हैं।”खोरठा गद्य साहित्य में संस्मरण की अवधारणा को ‘डॉ. भोगनाथ ओहदार ने इस प्रकार व्यक्त किया है – “संस्मरण साहित्य के मोटा – मोटी माने ओकर नामे से फुरछा हे, संस्मरण माने सामान्य रूपे इयाद करा हवे हे। संस्मरण शब्द सम + स्मरण से बनइल है। ई संस्कृत शब्देक अरथ हवे हे सम्यक रूप से स्मरण करा। माने संतुलित भावे, बेस भावे इयाद करा साहितेक विधाक ई सवद के भाव के पुरछवल जाइ तो परिछ हव हे जे कोनो विसेसे घटना परसंग वा कोनो विसेस वेकइत वेकति वा कोनो परानी केर खास इयाद जखन इयाइद करवाइयाक अनुभूति आर संवेदना के रसे डुइब के आखर रूपे शब्द रूपे उखइर जाइ आर उटा सामाइनेक संवेदना आर अनुभूति के छुवे लागे तो संसरण साहित के रूपे जानइल जा हइ।
खोरठा गद्य साहित्य में संस्मरण विद्या की रचना का प्रारम्भ 1990 के दशक से प्रारम्भ हुई। अतः संस्मरण बहुत कम मात्रा में खोरठा गद्य साहित्य में उपलब्ध है। विभिन्न पुस्तकों और पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित संस्मरणों की सूची निम्नवत है
- बोरवा अड्डाक अखरा बोर – शांति भरत ,
- उड्ड़ गेलक फुलवा रहइ गेलक बांस – गोविंद महतो जंगली
- हंसमुख लोक कवि तितकी राय -जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ’
- मने परे से आवल खेड़ाक अधपुरवा जातरा -श्री पंचम महतो
- उजरल खोंधा जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘
- खोरठा के अनन्य उपासक पानुरी जी -विकल शास्त्री ,
- कम्युनिष्ट विचारधाराक लोक पानुरी जी -शिवनाथ प्रमाणिक
- विसुनपुरेक दुर्गा पूजा -जनार्दन गोस्वामी ‘ व्यथित ‘
- रेला- डॉ आनन्द किशोर दाँगी
खोरठा आत्मकथा का विकास
आत्मकथा खोरठा शिष्ट साहित्य एक तरह से नवजात साहित्य है। यही कारण है कि साहित्य की सारी विधाओं में एक सा विकास नहीं हो पाया है। आत्मकथा लेखन कार्य अभी नहीं के बराबर ही माना जाना चाहिए, किन्तु इसके विकास कीअपरिमित संभावनाएँ हैं। आत्मकथा वैसे लिखी जाती है, जो समाज में किसी मायने में अति विशिष्ट हो और जिनके चरित्र समाज को एक नई दिशा मिल सके और मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। साहित्य, राजनीति, संस्कृति, नैतिकता और अर्थक्षेत्र में से विशिष्टता प्राप्त व्यक्तियों के आत्मचरित्र से ही ऐसा दिशा – निर्देश मिलता है। खोरठा साहित्य अब तक इन तथ्यों से प्रायः अपरिचित – सा लगता है, हालांकि ऐसी विभूतियाँ इस साहित्य क्षेत्र में अनेक है.
जीवनी खोरठा साहित्य में जीवनी पर पर्याप्त रचना उपलब्ध नहीं है, फिर भी शून्यता से परे विकास गति को प्राप्त कर चुका है। जीवनी साहित
खोरठा यात्रा वृतांत का विकास
यात्रा वृतांत खोरठा साहित्य में यात्रा वृतांत विधा में अनेक रचनाकारों ने रचना की है, किन्तु उतनी संख्या में नहीं है, जितनी होनी चाहिए। विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित यात्रा वृतात निम्नवत है.
- गंगा सागर- पंचम महतो ,(प्रकाशित लुआठी , अंक -5 , दिसम्बर , 2000)
- संकरी नदिक कछार – शिवनाथ प्रमाणिक ,(प्रकाशित तितकी , अंक – स्मारिका , अप्रैल , 2000)
- अंडमान- मंचम महतो ,( प्रकाशितअंक- प्रवेशांक , जनवरी , 2009)
- पानुरी जीक खोजे तीन दिन – प्रदीप कुमार ‘ दीपक ‘ , (प्रकाशित , अंक- पारी स्मृति अंक , मार्च , 2002)
- दारजिलिंग आर गंगटोक जातरा – डॉ . चतुर्भुज साहू , (प्रकाशित खोरठा गइद – पइद , संग्रह , 1989)
- छोटानागपुर , नैनीताल , नेतरहाट जातरा वृतांत – डॉ . बी . एन . ओहदार
संस्मरण- “ भावुक कलाकार जब अतीत की अनंत स्मृतियों में से रमणीय अनुभूतियों को अपनी कोमल कल्पना से अनुरंजित कर व्यंजनात्मक संकेत शैली में अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं से विशिष्ट कर रोचक ढंग से यथार्थ रूप में व्यक्त कर देता है , तब उसे संस्मरण कहते हैं । ” 9 खोरठा साहित्य में संस्मरण की अवधारणा को ‘ डॉ . भोगनाथ ओहदार ‘ ने इस प्रकार व्यक्त किया – ” संस्मरण साहित्य के मोटा – मोटी माने ओकर नामे से फुरछा है , संस्मरण माने सामान्य रूपे इयाद करा हवे हे । संस्मरण शब्द सम + स्मरण से बनइल है । ई संस्कृत शब्देक अरथ हवे हे सम्यक रूप से स्मरण करा ।
खोरठा व्याकरण
खोरठा भाषा व्याकरण पर विस्तृत व्याख्या खोरठा व्याकरण और रचना में किये है।यह पुस्तक झारखंड द्वारा आयोजित सभी परीक्षा के लिए उपयोगी है।
इस संबंध में डॉ आनन्द किशोर दाँगी अपनी पुस्तक में लिखें हैं-
अपनी बात जिस विद्या से किसी भाषा के बोलने तथा लिखने के नियमों की व्यवस्थित पद्धति का ज्ञान होता है , उसे व्याकरण कहते हैं । खोरठा भाषा साहित्य में प्रारंभ से एक व्यवस्थित व्याकरण की मांग की जा रही है , इसे ध्यान में रखते हुए “ खोरठा भाषा व्याकरण और रचना ” आपके समक्ष प्रस्तुत है । प्रस्तुत पुस्तक में खण्ड ‘ क ‘ में खोरठा भाषा का सामान्य परिचय , ध्वनि , शब्द , पद , अर्थ वाक्य , व्याकरण विशेषता , वर्तनी लेखन एवं खण्ड ‘ ख ‘ में रचना लेखन से संबंधित यथा- अपठित गद्यांश , निबंध लेखन , व्याख्या , संक्षेपण , पल्लवन इत्यादि विधाओं का सहज एवं सरल रूप में प्रस्तुत किया गया है । किसी भाषा के व्याकरण का निर्माण उसके साहित्य की पूर्ति का कारण होता है और प्रगति में सहायता करता है । भाषा की सत्ता स्वतंत्र होने पर भी व्याकरण उसका सहायक अनुयायी बन कर उसे समय – समय और स्थान – स्थान पर जो आवश्यक सूचनाएं देता है । खोरठा भाषा को समझने और उसे व्यवस्थित रूप देने में यह पुस्तक काफी उपयोगी सिद्ध होगी , ऐसी मेरी आशा है । खोरठा भाषा के विद्वानों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ , जिनकी विद्वता और सम्मति का मुझे लाभ प्राप्त हुआ । अंत में विज्ञ पाठकों से नम्र निवेदन करता हूँ कि आप लोग कृपाकर मुझे इस पुस्तक के दोषों की सूचना अवश्य दें । यदि ईश्वरेच्छा से पुस्तक को द्वितीयावृति का सौभाग्य प्राप्त होगा तो उनमें उन दोषों को दूर करने का पूर्ण प्रयत्न किया जायगा तब तक पाठकगण सहृदयतापूर्वक ‘ खोरठा व्याकरण और रचना ‘ के सार को उसी प्रकार ग्रहण करें जिस प्रकार – “ संत हंस – गुण गहिंयम परिहरि वारि विकार ” डॉ . आनन्द किशोर दाँगी “
संज्ञा, सर्वनाम, लिंग,वचन,काल,कारक,उपसर्ग, समास इत्यादि।
उपरोक्त jssc khortha syllabus 2022 पुस्तक को आप पढ़ना चाहते है या खरीदना तो झारखंड के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा पुस्तक विक्रेता, प्रकाशन झारखंड झरोखा ,रांची से खरीद सकते है ।सम्पर्क नम्बर 09973112040 , 7979711886
इन पुस्तकों का विश्लेषण हिंदी में यूट्यूब चैनल STUDY 4GS पर डॉ आनन्द किशोर दाँगी द्वारा निःशुल्क क्लास में जुड़ सकते है ,तथा टेस्ट दे सकते है। https://youtube.com/c/Study4GS