विश्व में स्वतंत्र देशों का अपना प्रतीक के रूप में राष्ट्रध्वज होता है। भारत का भी अपना एक भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा ) है जो भारतीयों के लिए आशा ,आकांक्षा और गौरव का प्रतीक है। जिसे तिरंगा कहा जाता है अर्थात तीन रंगों वाला आज केसरिया ,हरा ,सफेद इन तीन रंगों का अपना विशिष्ट भाव है
केसरिया रंग (indian saffron) -साहस ,बल, त्याग एवं नि:स्वार्थ भाव का प्रतीक है
श्वेत(white) -सत्य एवं शांति का प्रतीक है
हरा रंग (Green) – विश्वास शौर्य एवं धारा की हरियाली तथा राष्ट्र की खुशहाली का प्रतीक है
मध्य में अंकित अशोक चक्र धर्म एवं सत्य का प्रतीक है
राष्ट्रध्वज के वर्तमान स्वरूप का विकास यात्रा( राष्ट्रध्वज का इतिहास)
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा ) के वर्तमान स्वरूप को संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया किंतु यह जो वर्तमान स्वरूप है, इसके विकास में कई चरणों से गुजरा है। यदि राष्ट्रधज के विकास यात्रा को देखें तो इसकी शुरुआत इस प्रकार है :-
प्रथम चरण :- 1906 ई. राष्ट्रीय ध्वज के विकास का प्रथम चरण के रूप में जाना जाता है भारतीय राष्ट्रीय तिरंगा पहली बार स्वामी विवेकानंद के शिष्य भगिनी निवेदिता द्वारा निर्मित किया गया .जिसे 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौराहे पर फहराया गया था। हरा पीला और लाल रंग के तीन रंगों का राष्ट्रध्वज फहराया गया था। जिसके ऊपर के हरे रंगों में 8 कमल बीच के लाल पतियों में सूरज चांद बनाए गए थे और बीच में वंदे मातरम लिखा हुआ था।
द्वतीय चरण :- 22 अगस्त 1907 जर्मनी के शहर स्टुटगार्ड इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस के सम्मेलन में मैडम कामा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शनी की गई थी इस राष्ट्रध्वज में कुछ परिवर्तन किया गया था. लाल, पीला और हरे रंग के इस राष्ट्रीय ध्वज बनया गया था . ऊपर के पत्तियों में एक कमल तथा सप्त ऋषि दर्शाया गया था।
तृतीय चरण :- 1917 होमरूल आंदोलन के दौरान लोकमान्य तिलक, एनी बेसेंट ने भिन्न प्रकार के राष्ट्रध्वज का प्रदर्शन किया इसमें सप्त ऋषि चांद तारा तथा ब्रिटिश यूनियन जैक भी अंकित था ।
चतुर्थ चरण :- 1921 ई. विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन – इस अधिवेशन में राष्ट्रध्वज को गांधी जी ने भी स्वीकृति दी थी। विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन में जिस राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शनी किया गया था या लगाया गया था उसे पिंगली वेंकैया ने बनाया था जो दो रंगों का राष्ट्रध्वज बनाया गया था लाल और हरा . लाल हिंदू का और हरा मुस्लिमों का प्रतीक के रूप में माना गया था।
पंचम चरण :- 1931 ईस्वी में कांग्रेस द्वारा गठित एक समिति ने तीन रंगों का राष्ट्रीय ध्वज अपनाने पर विचार रखा गया .जिसमें ऊपर केसरिया बीच में सफेद और नीचे हरे रंग का पट्टी पर विचार बना। बीच की सफेद पट्टी पर चरखा अंकित किया गया।
अंतिम चरण :- 22 जुलाई 1947 इ. को संविधान सभा द्वारा चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को अपनाते हुए राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा इस राष्ट्रीय झंडे का विशेषताओं का उल्लेख किया गया।
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag )फहराने या लगाने के नियम :-
भारतीय झंडा संहिता 2002 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 में निहित नियमों के अनुसार राष्ट्रीय झंडे को फहराया एवं लगाया जाता है ।
भारतीय राष्ट्रीय झंडे के भर्ती सभी को प्रेम आदर और निष्ठा है । लेकिन प्रायः देखने में आया है कि राष्ट्रीय झंडे को फहराने के लिए जो नियम रिवाज और औपचारिकताएं हैं, उसकी जानकारी न तो आम जनता को होती है और ना ही सरकारी संगठनों और एजेंसियों को। मैं यहां सरकार द्वारा समय-समय पर जारी असंवैधानिक निर्देशों ,प्रतीक और नाम अधिनियम 1950 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के उप खंडो के तहत राष्ट्रीय झंडे का प्रदर्शन नियंत्रण तथा मार्गदर्शन के लिए जो भारतीय झंडा संहिता 2002 में वर्णित नियम और रिवाजों और औपचारिकताओं के दिशा निर्देशों को बताने का प्रयास किया गया है।.
भारतीय झंडा संहिता 2002. को तीन भागों में बांटा गया है –
भाग-1
राष्ट्रीय झंडे (Indian national flag) के बारे में समान परिचय दिया गया है
भाग 2
आम जनता निजी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं आदि द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराए जाने के बारे में उल्लेख किया गया है
भाग 3
केंद्र और राज्य सरकारों तथा उसके संगठनों एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराए जाने का विवरण संहिता में दिया गया है
भाग 1 सामान्य परिचय –
राष्ट्रीय झंडे (Indian national flag) पर तीन अलग-अलग रंगों की पटिया होगी।जो समान चौड़ाई वाली तीन आयताकार पटिया में सबसे ऊपर भारतीय केसरी रंग की पट्टी होगी और सबसे नीचे भारतीय हरे रंग की पट्टी हो गई बीच की पट्टी में सफेद रंग की होगी । जिस के बीचो बीच बराबर की दूरी पर नेवी ब्लू रंग के 24 चक्रों वाला अशोक चक्र बना होगा।
राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3 : 2 होगा
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag) का मानक आकार निम्नलिखित प्रकार के होंग : –
झंडे फहराने के लिए समुचित आकार के झंडे का चुनाव किया जाए अर्थात 3 :2 में झंडे का प्रयोग किया जाए,
1
6300 X4200 (मिलीमीटर )
2
3600X 2400 (मिलीमीटर )
3
2700 X 1800 (मिलीमीटर )
4
1800 X 1200 (मिलीमीटर )
5
1350 X900 (मिलीमीटर )
6
900 X 600 (मिलीमीटर )
7
450 X 300 (मिलीमीटर ) (गणमान्य व्यक्तियों को ले जाने वाले हवाई जहाजों पर किया जाता है।)
8
225 X 150(मिलीमीटर ) (अति गणमान्य व्यक्ति को मोटर कारों पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है)
9
150 X 100 (मिलीमीटर )(अति गणमान्य व्यक्ति के मेजों के लिए किया जाता है)
450 x300 मिली मीटर आकार के झंडे का प्रयोग अति गणमान्य व्यक्तियों को ले जाने वाले हवाई जहाजों पर किया जाता है।
225 x150 मिली मीटर आकार के झंडे का प्रयोग अति गणमान्य व्यक्ति को मोटर कारों पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है
150 x 100 मिलीमीटर आकार के झंडे का प्रयोग अति गणमान्य व्यक्ति के मेजों के लिए किया जाता है
भाग 2
आम जनता गैर सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं आदि के द्वारा भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा)(Indian national flag) का प्रदर्शन प्रयोग एवं फहराने के संबंध में :-
आम जनता गैर सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं आदि के द्वारा राष्ट्रीय झंडे के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा शिवाय अपमान निवारण अधिनियम 1971 तथा इस विषय पर बनाए गए नियम के अनुसार पालन किया गया हो।
झंडे का प्रयोग व्यवसायिक प्रयोजन के लिए नहीं किया जाए किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाए झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाए, शिवाय उन अवसरों को जब सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने का आदेश जारी न किया गया हो ।
कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी ऐसे स्थान पर जो सार्वजनिक रूप से दृष्टिगोचर हो ,वहां भारतीय राष्ट्रीय झंडे या भारत के संविधान या उसके किसी भाग को जलाता है, नष्ट करता है दूषित करता है उछलता है या मौखिक या लिखित रूप में अपमान करता है तो उसे 3 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
झंडे को किसी भी रूप में लपेटने जिसमें व्यक्तिगत शव यात्रा शामिल है के काम में नहीं लाया जाएगा।
किसी प्रकार की पोशाक या वर्दी के भाग में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा और ना किसी रुमाल ,नैपकिन ओ अथवा किसी ड्रेस सामग्री के रूप में इसका प्रयोग किया जाएगा ।
झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे ।
झंडे को किसी वस्तु को प्राप्त करने ,देने या पकड़ने अथवा ले जाने के पात्र के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा। लेकिन विशेष अवसरों और राष्ट्रीय दिवसों पर जैसे गणतंत्र दिवस स्वतंत्रत दिवस गांधी जयंती इत्यादि समारोह के रूप में झंडे को फहराने से पूर्व उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने में कोई आपत्ति नहीं होगी ।
किसी किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा और इसका प्रयोग प्रतिमा अथवा स्मारक को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा ।
झंडे का प्रयोग ना तो वक्ता की इमेज को ढकने और नहीं वक्ता के मंच को सजाने के लिए प्रयोग किया जाएग ।
झंडे को जानबूझकर जमीन अथवा फर्ज को छूने अथवा पानी में घास इतने नहीं दिया जाएगा।
झंडे को वाहन रेलगाड़ी नाम अथवा वायुयान की छत ऊपर बगल अथवा पीछे से ढकने में काम नहीं लाया जाएगा ।
झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए भी नहीं किया जाएगा ।
झंडे को लगाने फहराने के समय केसरिया रंग को नीचे प्रदर्शित नहीं किया जाएगा ।
फटा हुआ मैला कुचेला झंडा प्रदर्शित या फहराया नहीं जाएगा ।
झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडों के साथ एक ही ध्वज दंड से नहीं फहराया जाए ।
यदि झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोता की और हो तो झंडा उनके दाहिने और रहे अथवा झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उसके ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए ।
जनता द्वारा कागज के बने झंडे को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर ही लाया जा सकता है ।परंतु ऐसे कागज के झंडे को समारोह समाप्त होने के पश्चात न तो वितरित किया जाएगा और ना ही जमीन पर फेंका जाएगा जहां तक संभव हो ऐसे झंडू का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाना चाहिए ।
झंडे का प्रदर्शन खुले में क्या जाता है तो वहां मौसम का ध्यान रखे बिना उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए ।
झंडे को सलामी देने के बाद राष्ट्रगान होगा और इस कार्यक्रम के दौरान परेड सावधान की अवस्था में रहेगी।
भाग 3
केंद्रीय एवं राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय झंडे (Indian national flag) का फहराया जाना या प्रदर्शन :-
धारा 1 इसके अंतर्गत रक्षा प्रतिष्ठानों तथा दूतावास हो ऑब्लिक कार्यालयों के प्रमुखों द्वारा झंडा फहराया जाना।
राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए जिन रक्षा प्रतिष्ठानों के अपने नियम है उन पर इस भाग में की गई व्यवस्था लागू नहीं होगी ।
राष्ट्रीय झंडा विदेश स्थित उन दूत आवासों / मुख्यालयों और उनके प्रमुख के आवासों पर भी फहराया जा सकता है,
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा )कोसरकारी तौर पर फहराया जाना या लगाए जाने के तरीके-
जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मान पूर्वक स्थान दिया जाना चाहिए और उसे ऐसी जगह लगाना चाहिए जहां वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे;
यदि किसी सरकारी भवन पर झंडा फहराने का प्रचलन है, तो उस भवन पर यह रविवार और छुट्टियों में भी सभी दिन फहराया जाएगा और इस संहिता में की गई व्यवस्था के अतिरिक्त इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाएगा चाहे मौसम कैसा भी क्यों ना हो ऐसे भवन पर रात को भी झंडा फहराया जा सकता है, किंतु ऐसा केवल विशेष अवसरों पर ही किया जाना चाहिए ।
किसकी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाए ।
जब झंडा किसी मोटर कार पर लगाया जाता है तो उसे बोनट के आगे बीचो-बीच या कार के आगे दाएं और कसकर लगाए हुए एक डंडे पर फहराया जाए ।
जब झंडा किसी जुलूस या परेड में ले जाया जा रहा हो तो वह मार्च करने वाले के दाई और अर्थात झंडे के भी दाहिने और रहेगा या यदि उसे दूसरे झंडे की भी कोई लाइन हो तो राष्ट्रीय झंडा उस लाइन के मध्य में आगे होगा ।
राजकीय सैनिक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से संबंधित शव यात्रा जिनके संबंध में आगे व्यवस्था की गई है, को छोड़कर झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा ।
झंडे को फहराते समय या उतारते समय या झंडे को परेड में या किसी निरीक्षण के अवसर पर ले जाते समय वहां पर उपस्थित सभी लोग झंडे की ओर मुंह करके सावधान की अवस्था में खड़े होंगे । वर्दी पहने हुए व्यक्ति समुचित ढंग से सलामी देंगे जब झंडा जा रही सैनिक टुकड़ी के साथ हो तो उपस्थित व्यक्ति सावधान खड़े होंगे या जब झंडा उनके पास से गुजरे तो वे उस को सलामी देंगे धन्यवाद नियति सिर पर कोई वस्त्र पहने बिना भी सलामी ले सकते हैं।
राष्ट्रीय झंडे (Indian national flag) का दूसरे राष्ट्रों के झंडे तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के झंडे के साथ फहराया जाना :-
जब राष्ट्रीय झंडा दूसरे राष्ट्रों के झंडों के साथ एक पंक्ति में फहराया जाए तो उसे सबसे दाएं और रखा जाएगा अर्थात यदि कोई पर्यवेक्षक झंडे की पंक्ति के बीच में श्रोताओं की ओर मुख करके खड़ा होता है, तो राष्ट्रीय झंडा उसके दाई और होगा ।
राष्ट्रीय झंडे के बाद दूसरे राष्ट्रों के झंडे संबंधित राष्ट्रों के नामों के अंग्रेजी वर्ण क्रम के अनुसार लगाए जाएंगे ऐसे मामले में राष्ट्रीय झंडे को झंडे की पंक्ति के शुरू नाम के अंग्रेजी वर्ण क्रम के अनुसार झंडे की पंक्ति के मध्य में और पंक्ति के अंत में भी लगाया जा सकता है राष्ट्रीय झंडा सबसे पहले फहराए जाएगा और सबसे बाद में उतारा जाएगा ।
यदि झंडे को खुले गोलाकार में अर्थात अर्ध गोलाकार में फहराया जाता है तो इस धारा के पिछले खंड में बताई गई नीतियां अपनाई जाएगी यदि झंडे एक संपूर्ण गोलाकार में पाया जाता है;तो प्रारंभ में राष्ट्रीय झंडा लगाया जाएगा और दूसरे राष्ट्रों के झंडे घड़ी की सुई की दिशा में इस प्रकार रखे जाएंगे । अंतिम झंडा राष्ट्रीय झंडे तक आ जाए गोलाकार का प्रारंभ और अंत दर्शकों के लिए दूसरा राष्ट्रीय झंडा लगाने की आवश्यकता नहीं है।
जब राष्ट्रीय झंडा और कोई दूसरा झंडा एक साथ किसी दीवार पर दो ऐसे दलों पर फहराया जाए जो एक दूसरे को क्रॉस करते हुए हो तो राष्ट्रीय झंडा दाएं और अर्थात झंडे की अपनी अदाए और होगा और उसका डंडा दूसरे डंडे के ऊपर रहेगा ।
जब संयुक्त राष्ट्र संघ का झंडा राष्ट्रीय झंडे के साथ फहराया जाता है तो वह राष्ट्रीय झंडे के किसी भी और लगाया जा सकता है।
सरकारी भवनों एवं आवासों पर राष्ट्रीय झंडा (Indian national flag) फहराया जाना :-
सामान्यता उच्च न्यायालयों सचिवालयम कमिश्नरों के कार्यालयों जिला कचहरी और जेलो तथा जिला बोर्ड के कार्यालय नगर पालिका जिला परिषदों तथा विभागीय सरकारी उपक्रमों के कार्यालयों जैसे महत्वपूर्ण सरकारी भवनों पर भी झंडा फहराया जाना चाहिए ।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा शुल्क चौकियों जांच चौकियों सभी सीमा चौकियों और अन्य ऐसे खास जगहों पर जहां की झंडा फहराने का विशेष महत्व है राष्ट्रीय झंडा फहराया जाना चाहिए इसके अतिरिक्त सीमावर्ती गश्ती दलों के शिविरों पर भी झंडा फहराया जा सकता है।
राष्ट्रपति -उपराष्ट्रपति राज्यपाल उपराज्यपाल जब अपने मुख्यालय में हो तो उनके सरकारी आवासों पर और जब वे अपने मुख्यालय से बाहर दौरे पर हो तो जिन भवनों में वे निवास करें उन पर राष्ट्रीय झंडा फहराया जाना चाहिए। लेकिन सरकारी आवास पर फहराया गया राष्ट्रीय झंडा गणमान्य व्यक्ति के मुख्यालय से बाहर जाते ही उतार दिया जाना चाहिए और वापस मुख्यालय आने पर उक्त भवन के मुख्य द्वार से उनके प्रविष्ट होते ही राष्ट्रीय झंडा पुनः पहरा दिया जाना चाहिए। जब गणमान्य व्यक्ति मुख्यालय से बाहर किसी स्थान के दौरे पर हो तो जिस भवन में निवास करेंगे उस भवन के मुख्य द्वार से उनके प्रवेश करते ही उस भवन पर राष्ट्रीय झंडा फहरा दिया जाना चाहिए और जब उस स्थान से बाहर जाएं तो राष्ट्रीय झंडा उतार दिया जाना चाहिए।
विशेष अवसरों पर राष्ट्रीय झंडा सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए, चाहे गणमान्य व्यक्ति उन दिनों मुख्यालय में उपस्थित हो या ना हो ।
जब राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री किसी संस्था का दौरा करते हैं तो उस संस्था द्वारा उनके सम्मान में राष्ट्रीय झंडा फहराया फहराया जा सकता है।
जब भी देश का कोई गणमान्य व्यक्ति अर्थात राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति सम्राट राजा उत्तराधिकारी युवराज या प्रधानमंत्री भारत का दौरा कर रहे हैं और उस दौरान कोई संस्था उनके लिए स्वागत समारोह का आयोजन करती है, तो उस संस्था द्वारा नियमानुसार राष्ट्रीय झंडा और संबंधित देश का झंडा साथ साथ फहराया जाए ।
मोटर कारों पर राष्ट्रीय झंडा (Indian national flag) लगाया जाना :-
मोटर कारों पर राष्ट्रीय झंडा लगाने का विशेषाधिकार केवल निम्नलिखित गणमान्य व्यक्तियों का है –
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल, विदेशों में नियुक्त भारतीय दूतावासों एवं कार्यालयों के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री ,केंद्र के राज्य मंत्री और उप मंत्री राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री, राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्रों के राज्य मंत्री और उप मंत्री ।
लोकसभा के अध्यक्ष ,राज्यसभा के उपसभापति,लोकसभा के उपाध्यक्ष, राज्य विधान परिषद के सभापति, राज्य और संघ शासित क्षेत्रों के विधानसभाओं के अध्यक्ष ,राज्य विधान परिषद के उपसभापति ,राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों की विधानसभाओं के उपाध्यक्ष
भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश ,उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
रेलगाड़ियों और वाहनों पर राष्ट्रीय झंडा (Indian national flag)लगाया जाना :-
जब राष्ट्रपति देश में ही विशेष रेलगाड़ी से यात्रा करते हैं तो जिस स्टेशन से गाड़ी रवाना होती है। वहां ड्राइवर के केबिन पर प्लेटफार्म के और राष्ट्रीय झंडा तब लगाया जाए जाए जब तक गाड़ी वहां खड़ी रहती है ।राष्ट्रीय झंडा केवल तभी लगाया जाए जब उक्त विशेष रेलगाड़ी किस स्टेशन पर खड़े हो या गंतव्य स्टेशन पर पहुंच गई हो।
राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री के विशेष यात्रा करते समय उस पर राष्ट्रीय झंडा लगाया जाएगा ,जिसमें वह यात्रा कर रहे हो। जिस देश की यात्रा की जा रही है, उसका झंडा भी राष्ट्रीय झंडे के साथ साथ लगाया जाना चाहिए, परंतु विमान मार्ग में जिन जिन देशों में विमान उतरे तो शिष्टाचार और सद्भावना के नाते उस झंडे के स्थान पर संबंधित देश के राष्ट्रीय झंडे भी लगाए जाएंगे
जब राष्ट्रपति देश में ही कहीं दौरे पर जाएं तो राष्ट्रीय झंडा वायुयान के उस और लगाया जाए जिस और राष्ट्रपति विमान में चढ़ेया या उतरे।
राष्ट्रीय झंडा (Indian national flag) को आधा झुकाने के नियम :-
निम्नलिखित के अनुमान व्यक्तियों में से किसी का निधन होने पर प्रत्येक पदनम के सामने निम्नलिखित स्थानों पर निधन के दिन राष्ट्रीय झंडा आधा झुका दिया जाएगा –
राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री के मृत्यु होने पर समस्त भारत में राष्ट्रीय झंडा झुका दिया जाएगा
लोकसभा के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के मृत्यु के होने पर दिल्ली में राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के मृत्यु होने पर दिल्ली और राज्यों की राजधानियां में झंडा झुका रहेगा
केंद्र के राज्य मंत्री और उप मंत्री की मृत्यु होने पर दिल्ली में राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा
राज्यपाल उप राज्यपाल राज्य का मुख्यमंत्री संघ शासित क्षेत्र का मुख्यमंत्री की मृत्यु होने पर संबंधित समस्त राज्य संघ शासित क्षेत्र में झंडा झुका रहेगा
राज्य का कैबिनेट मंत्री की मृत्यु होने पर संबंधित राज्य की राजधानी में झंडा झुका रहेगा
जब झंडा झुकाना हो तो उसे पहले एक बार पूरी ऊंचाई तक फहराया जाए और फिर उसे झुकी हुई स्थिति में उतारा जाए किंतु दिन भर के बाद शाम को झंडा उतारने से पूर्व उसे एक बार फिर पूरी ऊंचाई तक उठाया जाए ।
किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष या शासन अध्यक्ष का निधन हो जाने पर उस देश में प्रत्येक भारतीय दूतावास अपने राष्ट्रीय झंडे को झुका सकता है। चाहे वह घटना गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस महात्मा गांधी जयंती अथवा भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ राष्ट्रीय उल्लास के किसी भी अन्य विशिष्ट दिन क्यों नहीं हुई हो। उस देश के किसी अन्य गणमान्य व्यक्ति के निधन होने पर भारतीय दूतावास के झंडा नहीं झुकाना चाहिए जब तक कि वहां के स्थानीय प्रथा या शिष्टाचार के अनुसार उस देश के विदेशी दूतावास के राष्ट्रीय झंडे की झुकाना अपेक्षित ना हो।
आलेख :- डॉ .आनंद किशोर दांगी
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) केसरिया रंग (indian saffron) किसका प्रतीक है?
केसरिया रंग (indian saffron) -साहस ,बल, त्याग एवं नि:स्वार्थ भाव का प्रतीक है
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) हरा रंग (Green) किसका प्रतीक है ?
हरा रंग (Green) – विश्वास शौर्य एवं धारा की हरियाली तथा राष्ट्र की खुशहाली का प्रतीक है
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) श्वेत(white) किसका प्रतीक है ?
श्वेत(white) -सत्य एवं शांति का प्रतीक है
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) के मध्य में अंकित अशोक चक्र किसका प्रतीक है ?
मध्य में अंकित अशोक चक्र धर्म एवं सत्य का प्रतीक है
पहली बार भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) किसने बनया ?
स्वामी विवेकानंद के शिष्य भगिनी निवेदिता द्वारा निर्मित किया गया .जिसे 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौराहे पर फहराया गया था।
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) को कब अपनाया गया ?
22 जुलाई 1947 इ. को संविधान सभा द्वारा चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को अपनाते हुए राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया
भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag )फहराने या लगाने हेतु किस नियम का पालन किया जाता है 😕
भारतीय झंडा संहिता 2002 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 में निहित नियमों के अनुसार राष्ट्रीय झंडे को फहराया एवं लगाया जाता है ।
450 X 300 (मिलीमीटर ) भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag )फहराने या लगाने हेतु प्रयोग किया जाता है ?
450 X 300 (मिलीमीटर ) (गणमान्य व्यक्तियों को ले जाने वाले हवाई जहाजों पर किया जाता है।)
225 X 150(मिलीमीटर ) भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag)फहराने या लगाने हेतु प्रयोग किया जाता है ?
225 X 150(मिलीमीटर ) (अति गणमान्य व्यक्ति को मोटर कारों पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है)
150 X 100 (मिलीमीटर ) भारतीय रास्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) (Indian national flag )फहराने या लगाने हेतु प्रयोग किया जाता है ?
150 X 100 (मिलीमीटर )(अति गणमान्य व्यक्ति के मेजों के लिए किया जाता है)