झारखंड राज्य के हृदय में स्थित गुमला जिला Gumla district एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ प्रकृति, संस्कृति, इतिहास और वीरता एक साथ सांस लेते हैं। यह जिला न केवल भौगोलिक रूप से विविध है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। यहाँ की जनजातीय परंपराएँ, धार्मिक आस्थाएँ, ऐतिहासिक स्थल और खनिज संपदा इसे विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं।गुमला की भूमि ने देश को परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का जैसे वीर सपूत दिए हैं, वहीं देवगाँव का बूढ़ा महादेव मंदिर रामायण काल की स्मृतियों को आज भी जीवित रखे हुए है। यहाँ की नदियाँ — शंख और दक्षिणी कोयल — जीवनदायिनी हैं, और पहाड़ियाँ पर्यावरणीय संतुलन की संरक्षक। इस लेख के माध्यम से हम गुमला जिला Gumla distric की एक समग्र दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे — जिसमें इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं को उजागर किया जाएगा। यह न केवल एक भौगोलिक इकाई है, बल्कि झारखंड की आत्मा का जीवंत प्रतीक भी है।
गुमला जिला का भौगोलिक विस्तार
गुमला जिला पहले 9077 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला था, लेकिन सिमडेगा को अलग जिला बनाए जाने के बाद इसका वर्तमान क्षेत्रफल 2321 वर्ग किमी रह गया है। यह जिला एक अनुमंडल (गुमला) और 12 प्रखंडों में विभाजित है: चैनपुर, डुनरी रायडीह, गुमला, सिसई, भरनों, कमडारा, बसिया, घाघरा, विशुनपुर, पालकोट, अलवर्ट एक्का। जिले में कुल 953 गाँव और 136 पंचायतें हैं।
गुमला जिला का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गुमला जिला का गठन 28 मई 1983 को हुआ, जब राँची जिले के गुमला और सिमडेगा अनुमंडलों को अलग किया गया। राँची जिले की स्थापना 1899 में हुई थी, जिसके बाद क्रमशः सदर (1902), गुमला (1905), खूँटी (1915) और सिमडेगा अनुमंडल बने। गुमला नाम की उत्पत्ति “गौ मेला” से जुड़ी है, जो यहाँ के ग्रामीण जीवन की एक विशिष्ट पहचान थी। गुमला जिला न केवल प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि यहाँ के कई ऐतिहासिक और महान व्यक्तित्वों ने देश और समाज के लिए अद्वितीय योगदान दिया है। नीचे उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
गुमला जिला का गुमला के ऐतिहासिक और महान व्यक्ति
लांस नायक अल्बर्ट एक्का
- जन्म: 27 दिसंबर 1942, जारी गाँव, चैनपुर प्रखंड, गुमला
- पराक्रम: 1971 के भारत-पाक युद्ध में अद्वितीय वीरता दिखाते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित
- कार्रवाई स्थल: गंगासागर, बांग्लादेश
- विशेषता: दुश्मन की गढ़वाली स्थिति पर अकेले हमला कर भारतीय सेना को विजय दिलाई।
- स्मृति: गुमला में उनके नाम पर अल्बर्ट एक्का प्रखंड और कई स्मारक स्थापित हैं।
शहीद जॉन अगस्तुस एक्का
- स्थान: रायडीह प्रखंड, परसा पंचायत, तेलया गाँव
- पराक्रम: 1999 के करगिल युद्ध में वीरगति प्राप्त
- स्मृति: उनकी पत्नी इमिलयानी लकड़ा ने बताया कि युद्ध से पहले उन्होंने क्रिसमस पर लौटने का वादा किया था।
शहीद बिरसा उरांव
- स्थान: गुमला जिला
- पराक्रम: करगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद
- विशेषता: जनजातीय समाज से आने वाले वीर सपूत, जिन्होंने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया।
शहीद विश्राम मुंडा
- स्थान: गुमला जिला
- पराक्रम: करगिल युद्ध में शहीद
- विशेषता: उनकी स्मृति आज भी गुमला के जनमानस में जीवित है।
देवगाँव के संत और पुरोहित
- स्थान: पालकोट प्रखंड, देवगाँव
- विशेषता: यहाँ स्थित श्रीश्री 1008 श्री बूढ़ा महादेव मंदिर रामायण काल से जुड़ा माना जाता है।
- महत्व: पहाड़ी क्षेत्र में देवी-देवताओं के पदचिह्न आज भी श्रद्धा का केंद्र हैं।
गुमला जिला का जनसंख्या और सामाजिक संरचना
2011 की जनगणना के अनुसार गुमला जिले की कुल जनसंख्या 10,25,213 है:
- साक्षर जनसंख्या: 5,59,720
- कुल श्रमिक: 4,87,508
- मुख्य श्रमिक: 2,78,931
- सीमान्त श्रमिक: 2,08,577
- अश्रमिक: 5,37,705
- अनुसूचित जाति: 32,459
- अनुसूचित जनजाति: 7,06,754
गुमला जिला का प्रमुख नदियाँ
गुमला जिले में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं:
- दक्षिणी कोयल
- शंख
दक्षिणी कोयल नदी
उद्गम स्थल:
- यह नदी झारखंड के राँची जिले के नगड़ी गाँव से निकलती है।
- कुछ स्रोत इसे लोहरदगा जिले के लावापानी जलप्रपात के पास छोटा नागपुर पठार से उत्पन्न मानते हैं।
प्रवाह मार्ग:
- नगड़ी से पश्चिम दिशा में बहती हुई लोहरदगा पहुँचती है।
- वहाँ से यह दक्षिण की ओर मुड़कर गुमला और पश्चिम सिंहभूम जिलों से होकर बहती है।
- इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी है कारो नदी (उत्तर कारो और दक्षिण कारो)।
- यह नदी ओड़िशा में प्रवेश करती है और गंगापुर के पास शंख नदी से मिल जाती है।
मुहाना:
- शंख नदी से संगम के बाद यह संयुक्त रूप से ब्राह्मणी नदी कहलाती है।
- ब्राह्मणी नदी आगे चलकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
शंख नदी
उद्गम स्थल:
- शंख नदी का उद्गम गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के लुपुंगपाट गाँव में होता है।
- यह लगभग 1000 मीटर ऊँचाई पर स्थित है।
प्रवाह मार्ग:
- यह नदी छोटा नागपुर पठार के पश्चिमी छोर से बहती है।
- प्रारंभ में यह संकरी और गहरी घाटी बनाती है।
- राजाडेरा के पास यह नदी सदनीघाघ जलप्रपात (200 फीट ऊँचा) बनाती है।
- इसके बाद यह छत्तीसगढ़ और फिर ओड़िशा में प्रवेश करती है।
मुहाना:
- ओड़िशा में यह दक्षिणी कोयल नदी से मिलती है।
- इस संगम के बाद संयुक्त नदी को ब्राह्मणी नदी कहा जाता है।
गुमला जिले में प्रमुख खनिज और उनके स्थान
| खनिज | मुख्य स्थान / प्रखंड | विशेष विवरण |
| बॉक्साइट | चैनपुर, बसिया, घाघरा, पालकोट | उच्च गुणवत्ता का बॉक्साइट, झारखंड के प्रमुख निर्यात खनिजों में शामिल |
| क्ले (मिट्टी) | भरनों, सिसई, डुनरी रायडीह | चीनी मिट्टी और फायर क्ले, स्थानीय कुम्हारों और लघु उद्योगों में उपयोग |
| सीसा (Lead) | कमडारा, अलवर्ट एक्का | सीमित मात्रा में पाया जाता है, अनुसंधान की आवश्यकता |
| चूनापत्थर | गुमला, भरनों, विशुनपुर | निर्माण कार्यों और सीमेंट उद्योग के लिए उपयुक्त |
| अभ्रक (Mica) | चैनपुर, राजाडेरा के आसपास | पारंपरिक रूप से झारखंड का प्रमुख खनिज, निर्यात योग्य |
| क्वार्ट्ज | सिसई, घाघरा | कांच और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग |
| लोहा (Iron) | बसिया, कमडारा, डुनरी रायडीह | लौह अयस्क की उपस्थिति, औद्योगिक विकास की संभावना |
| कायनाइट | पालकोट, विशुनपुर | उच्च ताप सहनशीलता वाला खनिज, औद्योगिक उपयोग में आता है |
विशेष नोट:
- गुमला के चैनपुर और बसिया प्रखंड बॉक्साइट के लिए सबसे अधिक चर्चित हैं।
- राजाडेरा और पालकोट क्षेत्र में अभ्रक और कायनाइट की उपस्थिति ने कई भूवैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है।
- अधिकांश खनिज क्षेत्र घने जंगलों और पठारी इलाकों में स्थित हैं, जहाँ खनन कार्यों के लिए पर्यावरणीय संतुलन आवश्यक है।
गुमला जिला का पर्यटन स्थल
गुमला जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल: स्थान, विशेषता और दूरी
| पर्यटन स्थल | स्थान (प्रखंड) | विशेषता | गुमला मुख्यालय से दूरी (किमी) |
| नगर या नवरतन गढ़ | चैनपुर प्रखंड | ऐतिहासिक किला, नागवंशी राजाओं का गढ़ | लगभग 25 किमी पश्चिम |
| हापामुनी | गुमला प्रखंड | हनुमान मंदिर, जनजातीय आस्था | लगभग 12 किमी उत्तर |
| आंजन | भरनों प्रखंड | हनुमान जन्मस्थली, पहाड़ी क्षेत्र | लगभग 18–20 किमी पूर्व |
| कोराम्बे | सिसई प्रखंड | प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य जीवन | लगभग 15 किमी उत्तर-पूर्व |
| मुझगांव | डुमरी रायडीह प्रखंड | जनजातीय संस्कृति, लोककथाएँ | लगभग 30–35 किमी दक्षिण-पश्चिम |
| टांगीनाथ | बसिया प्रखंड | प्राचीन शिव मंदिर, पुरातात्विक स्थल | लगभग 35–40 किमी दक्षिण |
| देवगाँव (पालकोट) | पालकोट प्रखंड | जनजातीय धार्मिक अनुष्ठान, पुरातन मंदिर | लगभग 28–30 किमी दक्षिण-पश्चिम |
| राजाडेरा | घाघरा प्रखंड | सदनीघाघ जलप्रपात, अभ्रक क्षेत्र | लगभग 22–25 किमी उत्तर-पश्चिम |
| नागफेनी | सिसई प्रखंड | ट्रेकिंग स्थल, चट्टानी दृश्य | लगभग 17 किमी उत्तर-पूर्व |
गुमला जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल: विस्तृत विवरण
नगर या नवरतन गढ़ (चैनपुर प्रखंड)
यह ऐतिहासिक स्थल नागवंशी राजाओं की राजधानी रहा है। किले की दीवारें आज भी उस गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं। यहाँ की स्थापत्य शैली और पुरातात्विक अवशेष स्थानीय इतिहास को जीवंत करते हैं। यह स्थल गुमला मुख्यालय से लगभग 25 किमी पश्चिम में स्थित है।
हापामुनी (गुमला प्रखंड)
यहाँ स्थित हनुमान मंदिर जनजातीय श्रद्धा का प्रतीक है। स्थानीय मान्यता है कि यहाँ की मिट्टी में चमत्कारी गुण हैं। धार्मिक अनुष्ठानों और मेले के समय यहाँ विशेष भीड़ होती है। यह स्थल गुमला से लगभग 12 किमी उत्तर में है।
आंजन (भरनों प्रखंड)
पहाड़ी क्षेत्र में स्थित यह स्थल भगवान हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है। यहाँ की गुफाएँ, मंदिर और प्राकृतिक वातावरण इसे आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। गुमला से लगभग 18–20 किमी पूर्व में स्थित है।
कोराम्बे (सिसई प्रखंड)
यह स्थल वन्य जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की हरियाली, पक्षी जीवन और शांत वातावरण पर्यावरण प्रेमियों को आकर्षित करता है। गुमला से लगभग 15 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है।
मुझगांव (डुमरी रायडीह प्रखंड)
यहाँ की जनजातीय संस्कृति, लोककथाएँ और पारंपरिक जीवनशैली इसे सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह स्थल गुमला से लगभग 30–35 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
टांगीनाथ (बसिया प्रखंड)
यहाँ भगवान शिव का प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ एक विशाल शिवलिंग है जो पत्थर में गड़ा हुआ है। यह स्थल पुरातात्विक रहस्य और धार्मिक आस्था का केंद्र है। गुमला से लगभग 35–40 किमी दक्षिण में स्थित है।
देवगाँव (पालकोट प्रखंड)
यह स्थल जनजातीय धार्मिक अनुष्ठानों और पुरातन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति और परंपराएँ स्थानीय जीवन से गहराई से जुड़ी हैं। गुमला से लगभग 28–30 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
राजाडेरा (घाघरा प्रखंड)
यह स्थल सदनीघाघ जलप्रपात के समीप स्थित है, जहाँ प्राकृतिक दृश्य और अभ्रक खनिज क्षेत्र एक साथ मिलते हैं। यहाँ की जलधारा और चट्टानी संरचना पर्यटकों को आकर्षित करती है। गुमला से लगभग 22–25 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
नागफेनी (सिसई प्रखंड)
यह स्थल ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए आदर्श है। दक्षिणी कोयल नदी के किनारे स्थित यह स्थल चट्टानों, हरियाली और शांत वातावरण से भरपूर है। गुमला से लगभग 17 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है।
श्रीश्री 1008 श्री बूढ़ा महादेव मंदिर, देवगाँव (पालकोट)
स्थान: देवगाँव, पालकोट प्रखंड, गुमला जिला, झारखंड
पौराणिक संबंध: रामायण काल से जुड़ा हुआ स्थल
प्राकृतिक परिवेश: पहाड़ी क्षेत्र, घने जंगल, चट्टानी संरचना और देवी-देवताओं के पदचिह्न
गुमला जिला का ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि
देवगाँव का यह मंदिर गुमला जिले का एक अत्यंत प्राचीन और श्रद्धा से परिपूर्ण स्थल है। मान्यता है कि रामायण काल में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान इस क्षेत्र से गुज़रे थे। यहाँ की चट्टानों पर आज भी देवी-देवताओं के पदचिह्न देखे जा सकते हैं, जिन्हें स्थानीय लोग चमत्कारी और पूजनीय मानते हैं।
बूढ़ा महादेव मंदिर की विशेषता
- यह मंदिर शिव उपासना का प्रमुख केंद्र है।
- सावन माह में यहाँ श्रावणी मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
- मंदिर परिसर में शिवलिंग, नंदी, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
- मंदिर का वातावरण मंत्रोच्चार, धूप-दीप और जनजातीय भक्ति गीतों से गूंजता रहता है।
संत और पुरोहित परंपरा
- वर्ष 1935 में पालकोट के नागवंशी राजा बड़लाल मृत्युंजय नाथ शाहदेव ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
- उन्होंने बिहार के औरंगाबाद जिले के मायर शमशेर नगर से पुरोहितों का एक दल बुलवाया और उन्हें देवगाँव में बसाया।
- ये पुरोहित आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिर की पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते हैं।
- यहाँ के संतगण न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में पारंगत हैं, बल्कि वे जनजातीय संस्कृति और लोक परंपराओं के संरक्षक भी हैं।
वाहन निबंधन कोड
गुमला जिले का वाहन निबंधन संख्या है: JH-07
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