खोरठा भाषा झारखंड की ऐसी क्षेत्रीय भाषा है जो झारखंड के 24 जिलों में से 16 जिलों में बोली जाती है। इस भाषा का क्षेत्र विस्तार जितना अधिक है उतनाही समृद्ध भाषा साहित्य।इस समृद्ध भाषा साहित्य में अनेकों साहित्यकार का योगदान है। उनमें एक देवघर जिला के फाल्गुनी मारीक कुशवाहा (Falguni marik kuswaha) जी का नाम आता है।इनका सामान्य परिचय और कुछ रचना देखा जा सकता है-
नाम- फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
पुश्तैनी गांव- कपासिया,
पोस्ट- रामूडीह,
थाना- देवीपुर जिला देवघर.
पिनकोड-814152
वर्तमान आवास- सिविल लाइन,नंदन पहाड़ रोड, देवघर झारखंड
पिनकोड-814112
पिता का नाम- स्व. इंद्रजीत मरीक
माता का नाम – सावंती देवी
खोरठा लेखन:-
वर्ष 1990 से खोरठा के संबंध में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन. प्रभात खबर में समय-समय पर खोरठा भाषा का कॉलम लेखन. संप्रति प्रभात खबर में विधि संवाददाता के तौर पर कार्यरत. खोरठा में कविता लघु कथा कहानी व्यंग आदि विधाओं में नियमित लेखन.
‘सहिदान’- नामक खोरठा पत्रिका का देवघर से संपादन.(अनियतकालीन )
खोरठा सृजन मंच के संस्थापक अध्यक्ष है और देवघर में लगातार कार्यक्रम करते आ रहा हूं। खोरठा भाषा के विकास में संथाल परगना में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है।इनकी अनेकों रचना पांडुलिपि में इनके पास है ।इस पांडुलिपि रचना को प्रकाशित करने का काम चल रहा है ।
सम्मान: –
- भगवती देवी स्मृति सम्मान से सम्मानित
- तिलक सेवा समिति द्वारा सम्मान
- देवघर पुस्तक मेला में आयोजित कवि सम्मेलन में कोटा कवि के तौर पर सम्मानित.
- दुमका में खोरठा भाषा मैं अनवरत लेखन को लेकर सम्मानित।
संपर्क- सिविल लाइन, नंदन पहाड़ रोड, देवघर, झारखंड.
फाल्गुनी मरीक कुशवाहा की कविताएं
1. देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
उतरें देखें बिहारक सीमाना
दखिने हो जिला जामताड़ा
पूबें पाबे दुमका आरो गोड्डा
पछियें मिलै गिरिडीह जिला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय…!
त्रिकुटी,दिघरिया,जालवे,नंदन
बुढैइ,पलंगा,चोल आर तपोवन
अजय, जयंती, पतरो बड़ नदिया
डढवा, कोतनिया, सारवां जोरिया
परकीरती के उपहार मिली गैला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
देवघर शहरे हो नगर निगम
माघुपुरम चले नगर परिषद
दु अनुमंडल देवघर, मधुपुर
देवीपुर, देवघर,करौं, सारवां
मोहनपुर, मधुपुर, पालोजोरी
सोनारायठाढी व मारगोमुंडा
आरो सारठ दस प्रखंड होला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
दस गो अंचल, थाना बाइस
जैप कैंप मोहनपुरम आइज
जिला कोर्ट,अनुमंडल कोर्ट
समाहरणालयम डीसी कोर्ट
सदर असपताल नब चलेला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
सतसंग, रिखिया, बालानंद
पगला बाबा आसरमवां हो
तिलेश्वरी, बुढेश्वरी,शीतला
पाथरोले जागल मैया काली
देवघरम विराजे बाबा भोला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
जसीडीह, मधुपुर आरो देवघर
बनल हो रेलगाड़ीक टिसनवा
चितराक कोलियरीक कोयला
दिघरिया पहाड़ेम अबरख हो
तांबाखानीम तेय तांबा छैला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
सिकटियाक डैमक ढेह देख
पुनासीक डैम करे मीनमेख
तइयो मोरी रहल गहुम धान
पड़तो पानी हरसतो किसान
मिलतो बेसी टाइड़ टिलहा
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय..!
यहा केर संसकीरती देखें
झूमैर,झुमटा,खेमटा गावै
मोहराय,धनरोपनीक गीत
परब त्योहार, बिहाक रीत
जुआथरीक लौरिक चानन
बुढैयक पछिया कुमर खीसा
आबै ते लोकम बिसरीये गैला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय…!
एम्स, एयरपोर्ट,बोड़ बस अड्डा
त्रिकुटी रोपबे, नंदन ट्वाय ट्रेन
मधुपुरक रसगुला सभीक भावै
देवघरक तेहरी, घोरमारक पेड़ा
सावनम लागे, लंबा सावन मेला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवा माय…!
जसीडीहम हलो डाबर फैक्ट्री
इंडसट्रीयल एरिया बुड़ी गेला
मधुपुरे फैकटरी हो लावपाला
डायवरसीटी पार्क दिघरियाम
मौन सभीक तेय खीचये लेला
यहां जनी मरद बड़ी शरमिला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
हे हमरोक नुनुवा माय…!
इतिहास फाल्गुनी कहेला
रोहिणी गांवस संग्राम होले
आजादीक पहिल बिगुलम
वीर सलामत,अमानत,हारो
हांसी फांसी चढ़ीये ते गैला
देवघर जिला बड़ी रंगीला
छौ हे हमरोक नुनुवां माय…
2. देहाड़ी मजूरा बेहाल…
देहाड़ी मजूरा बेहाल
– फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
जतघड़ी कमाबो
ततघड़ी खाबो
आरो …
बुतरु बतराक खियाबो
नाय कमाबो
तेय उपासले फेंफाबो
आझुक देहाड़ी
जन मजूराक हाल बेहाल
कोरोना छीनलको काम
बहराय रहल हो जान
खेतें पेटें सैर बराबर
घरम बचे ने हो धान
महंगाइ ….
बनलो बेलगाम घोड़ा
दौड़ी रहल हो खिखियाय
बैठीक मालिकें
तिकतिकवावै झूठेक कोड़ा
छुपछुप कै मंगल गावै
राखल धरल गेलो बिलाय
माड़ोभात पर आफेत
तेल साबुन सरफ बिन
कौउवा जेइसन कापड़
दबाय बीरो खातिर टका नाय
कइसै बचतो आबै जान
करतो के तोर खयाल
3. खोलें आपनो आंइख
– फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
देस तेय तोर हको
आरो
देसक मूल मानुस तोंय
केतै दिन रहबें सुतलो
खोलें आपनो आंइख..!
हाड़म हरदी आरो नून
लगायके गलाय रहल हो
मतुर..
तोहनी तेय बुझे रहल हीं
कुरसी बैठलकां
हमराक सहलाय रहल हे
ढेरी रकमेक
खेल खेलाय रहल हो आइज
बकरु बनायके
छीटी रहल हो खुदी आरो चार
एकरेम मस्त सुस्त
ओकर तरफ सेञ
काहे बोगबोगाय रहल हीं भाय
देसक माटी खांटी
भीठअ बनालको
तोर बुतरुवा बिनु परीछें पास
आबे वाला समेय भेल धीमाठ
कने ले जाय रहल हो देस
काम धाम ते होलो बोन
कनेस होतो जोगाड़ नोन
बेमारीक डर
ढुकी जो घर
मंहगो होलो बाजार
गरीब सगरो लाचार
गोलीक डर बोली गेल
उतपुताबें ते केस जेल
लोकतंत्र अंधार होलो
भयतंत्र फैलाय रहलो
तनि झांक नुनू झांक
खोले आपनो आंइख..!
4. कौन घरम आब लगाबें ताला
-फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
देसम बदेइल गेलो इनसान
समाजम गोटे लोग परेशान
जंतसर से संसदो तक देखें
चूसे दुबरका मोटका जोंकें
देहम बिलालो टहटह रकत
नाय करे छौ तनियो फरक
आपनो खातिर दौड़े दिमाग
बांकी जनी मरद बूटक साग
सगरौ होबे छो बजारी काला
कौन घरम आब लगाबें ताला…!
सरकारी योजना ते फटेहाल
लूटी रहल छौ सगरौ दलाल
आॅफिसक हाल लकवाग्रस्त
गरीबे मांझल लोग छौ पस्त
शिक्षा जगतम अजबै मिशन
डेगें डेग ते सिसटम कमिशन
डागडर जांचघरम लूटेक मार
रोग रोगीक बनालको रोजगार
उपरें उपर छो अफिसर आला
कौन घरम आबै लगाबें ताला…!
5. जोगल जिनीस बेच
बेच नुनू बेच
जोगल जिनीस बेच..!
बोड़ जतन करीक
करलको जुवान जान
ढेइर आस आर अरमान
फिरी गेलो पानीये आबै
थोथ दलील गाल बजाबै
घाटाम चले हो आइज
सरकारी उपकरम जान
सुधार हमरास होतो नाय
कुबेरक हाथें सौदा पटाय
कमिसन खाय मौज मस्ती
कानी रहल हो शहर बस्ती
रेल रहे चाहे बिजली संयंत्र
सरकरी फैक्टरी या उपक्रम
लागी रहल हो मोटअ बोली
हवाई सेवा टकेसरक हाथम
ओकरे मोटवावेक पेच
बेच जोगल जिनीस बेच…!
नाचेल नै जानै आंगन टेड़
इटा कहनी हमर देस देख
पिलाय रहल तोराक भंग
विज्ञान युग दिमाग खतम
ऐंइठ ले मिलल हो राज
आतो अंधड़ गिरतो गाज
देशक माटीक पूत देख
बिकी रहल हो तोर देस
बेइच नुनू आरो बेच
जोगल जिनीस बेच…!
नोट:-उपरोक्त जानकारी फाल्गुनी मारीक कुशवाहा के द्वारा दी गई है।