Dr. BN Ohdar : डॉ. बी.एन. ओहदार जी का पूरा नाम डॉ. भवनाथ ओहदार है। खोरठा भाषा वैज्ञानिक एवं महान भाषाविद् के रूप में विख्यात हैं।वर्तमान समय में भाषा के विकास में निरंतर लगे हुए हैं तथा खोरठा भाषा साहित्य के प्राध्यापक, मार्गदर्शक के रूप में Dr. BN Ohdarजनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय में शिक्षा देने का कार्य किया,तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, में अतिथि अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य कर रहे हैं।

Dr.B.N Ohdar : डॉ. बी.एन ओहदार का प्रारंभिक जीवन;
Dr. BN Ohdar : डॉ. बी.एन. ओहदार का जन्म एक कृषक परिवार में 1952 ई. में रामगढ़ जिला के चेटर गाँव में हुआ। पिता माधो ओहदार और माता रूपा देवी थे। आरंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हुई तथा हाईस्कूल की पढाई गांधी स्मारक उच्च विद्यालय, रामगढ़ से पूरी की।रांची यूनिवर्सिटी से इंटर विज्ञान की पढाई पश्चात गोरखपुर विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर में नामांकन कराया किन्तु मन नहीं लगने के कारण एक महीने बाद ही एग्रीकल्चर की पढाई छोड़ दी और मुजफ्फरपुर बिहार स्थित प्रतिष्ठित लंगट सिंह महाविद्यालय से 1974 में स्नातक जीवविज्ञान किया । स्नातक के बाद इन्हों ने बिहार शिक्षा विभाग में विज्ञान शिक्षक पद के लिए नियुक्ति पत्र मिला, पर आगे की पढाई करने के लिए ज्वाइन नहीं किया।आगे की पढाई के लिए लॉ (Law)कालेज ज्वाइन किया। प्रथम वर्ष की परीक्षा में बहुत ही कडवा अनुभव हुआ।भयंकर कदाचार को देख कर उन्हें घृणा हो गई और प्रथम वर्ष उतीर्ण होने के बाद लॉ की पढाई छोड़ दी।और इनका खोरठा भाषा से लगाव होने लगा ।इसी दरम्यान कसमार पेटरवार के अजित कुमार झा जी से इनका मुलाकात होती है, जो झारखंड में भाषा सांस्कृतिक आंदोलन चला रहे थे।मैं उस आंदोलन से जुड़ गया एक लंबे आंदोलन के बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन से झारखंड की नौ भाषाओं को मान्यता मिली।इसके साथ ही स्नातकोत्तर जनजातीय-क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना हुई और डॉ. बी.एन Dr. BN Ohdar नामांकन करा लिया।1984 में एमए खोरठा से किया । पीएचडी के लिए जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप मिला और मुझे खोरठा भाषा के क्रियारूपों कै रूप वैज्ञानिक अध्ययन(morphological study of khortha verbs) विषय पर पीएचडी की उपाधि मिली।
1987 में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग के स्नातकोत्तर विभाग मेंसहयक प्रध्यापक के रूप में इनकी नियुक्ति हुई और अध्यापन करने लगे। वे अपने घर से रांची पढाने जतेथे । चूंकि इनका गांव पहाडियों की तलहटी में है,आने जाने के दोरान ,वनों की कटाई अबाध रूप कटे देखा। डॉ ओहदार जंगल बचाव अभियान 1989-90 से चलाना आरंभ कर दिया। इस काम के लिए रविवार आदि छु्ट्टिययों का उपयोग किया। बहुत अच्छा रिस्पांस मिला।लोग बडी संख्या में जुडने लगे। जंगल कटने का दर्द सबों को था,सिर्फ पहल करने की जरुरत थी।इनके द्गावारा वन सुरक्षा समितियां बनानी शुरू की और कर जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया।300 सो से अधिक गांवों में समितियां सफलता से काम कर रही हैं।इसी दरम्यान मैं जंगल बचाव से संबंधित जेएफएम न्यूज लेटर(JFM News letter)के हिन्दी खंड का संपादक भी रहा।
इन्हें 1994 में मैं स्नातकोत्तर विभाग से Advanced course in computational linguistics के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैदराबाद भेजा गया ।1995 में phonetics teaching course के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ इंडियन लैंग्वेजेज(CIIL,Mysore) गया।अपने अध्यापन के दौरान डॉ ओहदार खोरठा भाषा का अध्ययन और “आज के समय में प्रासंगिकता” विषय पर आलेख पाठ के लिए हिन्दी साहित्य अकादमी,दिल्ली की ओर से पुरस्कृत किया गया । इनका परिवार परिवार का माहौल धार्मिक और साहित्यिक था।इनके एक चाचा 2965-6 में ही हिन्दी मैं एम. ए. हो चुके थे।वे कविताएं भी करते ।वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, नीहारिका, सारिका,कादंबिनी, आदिवासी, जनजीवन आदि मंगाते -जुगाड़ करते। और पत्रिकाओं कौ पढने लगे . जिसे इनका साहित्यिक अभिरूचि अंकुरित होने लगी।
Dr.B.N Ohdar : डॉ. बी.एन ओहदार का साहित्यिक रचना
पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचना छपने लगी, किन्तु विधिवत लेखन 1980से शुरू किया।स्नातकोत्तर विभाग में एक पेपर रचनात्मक लेखन का हुआ करता।अच्छी रचनाएं आकाशवाणी से प्रसारित होती।अब तक इनका दो दर्जन से भी अधिक लेख एवं कहानियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से प्रकाशित प्रसारित हो चुकी हैं।,
- “खोरठा निबंध”नामक 1990 में खोरठा हिंदी नामक पुस्तक बिहार सरकार. द्वारा प्रकाशित की गई। अबतक इसके तीन संस्करण 1990,2016,2022निकल चुके हैं।
- खोरठा भाषा एवं साहित्य-उद्भव एवं विकास -2007में “खौरठा भाषा एवं साहित्य-उद्भव एवं विकास”प्रकाशित हुई।अबतक इसके चार संस्करण 2007,2012,2017,2023 निकलें हैं
- अनुदितांजलि--बहादुर शाह जफर एवं दुष्यंत कुमार के गजलों का खौरठा पद्यानुवाद 2007 में प्रकाशित हुआ।
- मैट्रिक से लेकर एम ए तक कु दर्जनों पुस्तकों का संपादन,
- खोरठा पत्रिका *”तितकी त्रैमासिक ,हिन्दी साप्ताहिक *
- “झारखंड संदेश “का संपादन किया।
- करिल – डॉ बी.एन. ओहार के सम्पादन में वर्ष 2009 से खोरठा विकास परिषद दड़दाग, ओरमांझी, राँची से प्रकाशित किया जाने लगा।
- डॉ बी.एन. ओहदार अपनी कविता “उठ, जाग, झारखंडी’ अब तइ नजइर खेल” में -झारखंडी शोषण के खिलाफ लिखा है –
कते दिन आर सहबे,
अपमान आर धुतकार
कि तोंश् देखते रहबे
अपन घर के लुटाइत,
उठाइ ले तीर कमान,
आर बइरीक ताकत तौल
उठ जाग झारखण्डी
अब तो नजर खोल।
Dr.B.N Ohdar : डॉ. बी.एन ओहदार का साहित्यिक उपलब्धियां-
- *रामकृष्ण विशिष्ट सम्मान2018
- श्रीनिवास पानुरी साहित्य सम्मान2017
- खोरठा रत्न सम्मान1993
- साहित्य सम्मान- 2022 शांति धारा फाउंडेशन
- राजनीति- 2014 में भातीय कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट से विधानसभा चुनाव लडा़।
- संप्रति- * अध्यक्ष सह निदेशक, खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद,झारखंड।
- विदेश यात्रा-मलेशिया क्वालालंपुर में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय साहित्य सेमिनार में*प्रेमचंद साहित्य और इज के समय में उसकी प्रासंगिकता पर आलेख पाठ-2023,जनवरी
- वर्तमान में जोहार जोहार झारखंड संदेश साप्ताहिक में नियमित लेखन
डॉ. बी.एन ओहदार का शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकें –
- १.बैठे ठाले- एक दर्जन स्व व्यंग्य लेखों का संकलन।
- वैदेही- एकल नाट्य(Dramatic monologue)
- बतास दूत- खोरठा काव्य।
- चिंतन के आयाम। डेढ़ दर्जन वैचारिक स्वलेखों का संकलन ।(हिन्दी मे)
- झारखंड की सांस्कृतिक विरासत पर लेखन जारी।
- (उपर्युक्त सभी पुस्तकों की अधिकांश रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित )
इन्हें भी पढ़े
खोरठा साहित्यकार राम किशुन सोनार
खोरठा साहित्यकार