Dr.Anand kishor Dangi | डॉ आनन्द किशोर दाँगी

बहुमुखी प्रतिभा के धनी   डॉ. आनन्द किशोर दाँगी (Dr.Anand kishor Dangi) झारखंड राज्य के परिचित साहित्यकार, कहानीकार, पटकथा लेखक, निर्माता एवं निर्देशक, मोटिवेशनल स्पीकर ,समाज सेवी ,पर्यावरण संरक्षक इत्यादि   रूप में जाने जाते है। इनकी जितनी भी  प्रशंसा की जाय कम है। इतिहास और जनजातीय भाषा से स्नातकोत्तर तथा  जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। अनेक विषयोंं पर शोध कार्य , रचना लेखन निबंध लेखन इत्यादि  कार्य करते रहे है। डॉ. आनन्द किशोर दाँगी (Dr.Anand kishor Dangi) ,जिन्हों ने अपने प्रेरणा दयाक कहानियो ,वाक्यों एवं भाषणों, लघु फिल्म के माध्यम से  समाज मे बदलाव लाया है।

इनक परिचय इस प्रकार देख सकते है –

डॉ आनन्द किशोर दाँगी (Dr.Anand kishor Dangi) का व्यक्तिगत परिचय

  • जन्म तिथि – 10 जनवरी
  • नाम -डॉ आनंद किशोर दांगी
  • माता – यशोदा देवी
  • पिता – स्व. गोविन्द दांगी
  • भार्या -चंचला आर्यन
  • पता  – ग्राम पोस्ट -गिधौर ,जिला  चतरा  झारखण्ड
  • सम्पर्क:-Email:-anand.kishordangi@gmail.comEmail: anandlink7@gmail.comWebsite :- www.anandlink.com

सम्मान

  • साहित्यिक उपलब्धि- जयशंकर प्रसाद स्मृति पुरस्कार 2020
  • फिल्म निर्माण क्षेत्र मे द्वितीय राष्ट्रीय झारखंड फिल्म फेस्टिवल मैं इनकी फिल्म पिता के मान बेटिया को बेस्ट फिल्म का पुरस्कार
  • खोरठा प्रबुद्य सम्मन एवं अन्य सरकारी संगठनों एव गैर सरकारी संगठनों द्वारा सम्मन प्राप्त हुवा है।

डॉ आनन्द किशोर दाँगी(Dr.Anand kishor Dangi)  साहित्यकार के रूप में –

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा के  परिचित साहित्यकार,कहानीकार पटकथा लेखक डॉ आनंद किशोर दाँगी अपनी रचनाओं के लिए झारखंड  में प्रसिद्ध है । जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा मे पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। झारखंड के सभ्यता संस्कृति के ऊपर अनेको शोध कार्य किया है ।सेवा में रहते हुए भी निरन्तर समय निकाल कर शोध एवं लेखन क्षेत्र में लगे हुए है । अभी तक डॉ दांगी के द्वारा लिखी गई पुस्तकों में मुख्य रूप निम्नं है –

डॉ आनन्द किशोर दांगी
khorta vyakarn or rachan

1.खोरठा कवियों का काव्यगत परिचय -प्रथम संस्करण- पृथवी  प्रकाशन दिल्ली

प्रकाशन -द्वतीय संस्करण-Anandlink publication chatra

2.इंजोरिया (खोरठा नाटक संग्रह्)-प्रकाशन_झारखण्ड झरोखा ,रांची

3.खोरठा व्याकरण और रचाना- प्रकाशन_ झारखण्ड झरोखा ,रांची

4 खोरठा सरल व्याकरण- प्रकाशन_झारखण्ड झरोखा,

5.साठोतरि  खोरठा पदय सहित्य- प्रकाशान _ झारखण्ड झरोखा

6.झरोखा ( खोरठा कविता संकलन)- प्रकाशन_Anandlink publication chatra

7.खोरठा लोकथा संकलन -प्रकाशन_Anandlink publication,chatra

8 खोरठा भाषा समग्र अध्ययनप्रकाशन-Anandlink publication,chatra

9.खोरठा वास्तुनिस्ट मॉडल प्रेक्टिस सेट .   प्रकाशन- Bright Future ,ranchi

10 खोरठा लोकगीत संग्रह Anandlink publication,

11 खोरठा लोक कथा संग्रह Anandlink publication,chatra

12 खोरठा माय-माटी निबंध Anandlink publication,chatra

13 साइबर क्राइम करमा टांड–Anandlink publication,chatra

डॉ आनन्द किशोर दाँगी(Dr.Anand kishor Dangi) मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में – Dr.anand motivational speaker

प्रेरक वक्ता वह वक्ता होता है जो प्रेरक वाक्यों , भाषण के माध्यम से श्रोताओं को प्रेरित करने या प्रोत्साहित करने का काम करता है।उनमे एक है डॉ.आनंद किशोर दांगी ,जिन्हों ने अपने प्रेरणा दयाक कहानियो ,वाक्यों एवं भाषणों के माध्यम से समाज मे बदलाव लाया है। सोशल मीडिया के माध्यम से देश समाज के लोगों को प्रेरित करने का काम कर रहे हैं सोशल मीडिया का लिंक यहां दिया जा रहा है जहां से क्लिक कर उनके वक्तों एवं भाषणों को सुना जा सकता है-

यूट्यूब चैनलDr.anand motivational speaker

डॉ आनन्द किशोर दाँगी फिल्मी जगत  (कहानीकर ,पटकथालेखक, निर्माता,निर्देक  रूप में) – (यूटूबर और ब्लॉगर के रूप में

इसके अलावे इन्होंने दूरदर्शन राँची के लिए कई टेली फिल्मों के लिए कहानीयां, एवं पटकथा लिखा है  । जिसमें नेत्र दान माह दान काफी चर्चित रहा । इन दिनों डॉ दांगी अपने यूट्यूब चैनल aapki pahunch  के माध्यम से यहाँ के सभ्यता संस्कृति के ऊपर कई डोकोमेंटरी फ़िल्म,लघु फिल्म आदि बनाकर समाज में जागरूकता का कार्य करने में लगे हैं। इनके द्वारा निर्मित लघुफिल्म “पिता का मान बिटिया” शार्ट फ़िल्म को झारखंड द्वितीय राष्ट्री फ़िल्म फास्टेबल  में दूसरा स्थान मिला है। झारखंड के सभ्यता संस्कृत के ऊपर इनकी और भी कई लघु फिल्में चर्चित  हुई है।इसके अलावे anandlink बेबसाइट के माध्यम से अपनी रचनाओं को लोगों तक पहुचाने का कार्य कर रहे है।

यूट्यूब चैनल aapki pahunch   https://youtube.com/@aapkipahunch?si=Zsy-f4gOnH9g3QfC

इसके अलावे इन्होंने दूरदर्शन राँची के लिए कई टेली फिल्मों के लिए कहानीयां, एवं पटकथा लिखा है  । जिसमें नेत्र दान माह दान काफी चर्चित रहा । इन दिनों डॉ दांगी अपने यूट्यूब चैनल aapki pahunch  के माध्यम से यहाँ के सभ्यता संस्कृति के ऊपर कई डोकोमेंटरी फ़िल्म,लघु फिल्म आदि बनाकर समाज में जागरूकता का कार्य करने में लगे हैं। इनके द्वारा निर्मित लघुफिल्म “पिता का मान बिटिया” शार्ट फ़िल्म को झारखंड द्वितीय राष्ट्री फ़िल्म फास्टेबल  में दूसरा स्थान मिला है। झारखंड के सभ्यता संस्कृत के ऊपर इनकी और भी कई लघु फिल्में चर्चित  हुई है।इसके अलावे anandlink बेबसाइट के माध्यम से अपनी रचनाओं को लोगों तक पहुचाने का कार्य कर रहे है। डॉ दाँगी को इस योगदान के लिए 2020 ई.में जय शंकर पर्षद स्मृति पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। डॉ दाँगी सवेंदनशील रचनाकार होने के साथ समाजसेवी ,ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ ब्यक्ति है ।

डॉ आनन्द किशोर दाँगी (Dr.Anand kishor Dangi) एक समाज सेवक  के रूप में 

समाज सुधारक एक आम इंसान होता है जो असाधारण तरीके से मानवता की सेवा करना चाहता है । समाज में बहुत लोग दबे  कुचले है ,सामाजिक आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़े है । ऐसे लोगों को समाज में ऐसे लोगों से आशा रहती है कि उन्हें कोई सहायता प्रदान करें और उनका जीवन स्थिति को सुधार करें उनमें से एक डॉक्टर आनंद किशोर दांगी का नाम लिया जा सकता है जिन्होंने  व्यक्तिगत एवं जीवन आनंद सेवा संस्था के माध्यम से लोगों की सेवाकरते है ।

 

डॉ आनन्द किशोर दाँगी(Dr.Anand kishor Dangi) पर्यावरण संरक्षक के रूप में

पर्यावरण संरक्षण  के क्षेत्र  अनेक उलेखनीय कार्य किया है . सन 2015 में पूर्वजो के नाम वृक्ष रोपण  की मुहीम की शुरवात अपने पैत्रिक गांव गिधौर, चतरा झारखण्ड से प्रारम्भ किया जंहा आज सेकड़ो  वृक्ष तैयार हो चुके है.इसके अलावे प्रतेक वर्ष 10 वृक्ष लगते है और लोगो को भी प्रेरित करते है .

 

डॉ आनन्द किशोर दाँगी का  जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा भाषा के ऊपर लिखी उनकी एक कविता इस प्रकार है

डॉ दाँगी जीवन मे अनेक संघर्षो से आगे बढ़ते गए । कहावत है जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरे रास्ते  स्वतः खुल जाते हैं। डॉ दाँगी जीवन की इस राह में चलते रहे है। उनकी लिखी  एक कविता उनके ऊपर  सार्थक प्रतीत होता है।

पानी का बुलबुला नाँय ,तो झरना बन।

पचायक पइत चुनोती, तोंय आगे बढ़।।

नाय देख मुँह केकरो,खुदे पर कर आकीन।

भटक नाँय जिनगी, तू आगे बढ़।।

आँख खोल चल डहरे, नजर रख मंजिले,

भटक मत  डहरे, तू आगे बढ़ डहरे।।

मुश्किल पइले जिनगी , इंसानियत के बन मिसाल।

भटक मत जिनगीए, नजर रख मंजिलें।

तू आगे चल डहरे, तू आगे बढ़ डहरे।।

उबड़ खाबड़ जिनगीक डहरे, तू चल अपन करम डहरे।

जइसन तोर नियत, तइसन तोर डाहर।

नजर रख मंजिले, तू आगे बढ़।।

डगरे कांटा, कांटा उठाईक आगे बढ़।

जिनगीक पइत करवटे कांटा, कांटा उठाइक तू आगे बढ़।।

दुखे रहतउ नाँय कोइए ठाड़ , सूखे , भिड़े रहतउ ठाड़।।

पानी का बुलबुला नाँय , तो झरना बन।

पचायक पइत चुनोती, तोंय आगे बढ़।।

भटक नाँय जिनगी, तू आगे बढ़।।

डॉ. आनन्द किशोर दाँगी (Dr.Anand kishor Dangi) जी झारखण्ड के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विशेषज्ञ के रुपमे जाने जाते है ,खोरठा भाषा के ऊपर लिखिकविता देखि जा सकती है –

  माई माटिक मासा खोरठा-

हमर मार- माटिका खोरठा भासा,

आइज नांइ कल अपनावे हतउ ।

झारखंडेक माटि जनमल भासा ,

आइज नांइ कल अपनावे हतउ ।।

सदानेक परिवारेक सबने बोड भासा ,

खरोष्टी लिपी से जनमल भासा ,

हमर माइ माटिक खोरठा भासा ।

आइज नांइ कल अपनावे हतउ ।।

संयूक्त ध्वनि नांइ लिंग वोधक नांइ,

हस्व ध्वनि से बनल हमर माटिक भासा।

साहितिक सागरे भरल खोरठा भासा,

पानुरी-प्रमाणिक आरोक भरल पुरल भासा

आनन्द दांगी के गागरे भरल किला।

हमर माइ माटिक खोरठा भासा ॥

आइज नांइ कल अपनावे हत्तउ ।

जिनगिक बढ़ावे खातिर अपनावे होतउ

नांइ  चेतवे निगल जेथू खोरठा भासा

मगही, भोजपुरी मेथली झरखंडे बोलवइआ आतकवादी

देखते रहवे, छीन लेथे माटिक भासा

आइज नांइ कल अपनावे हत्तउ ।।

खोरठा हेक तोर  मान समानेक भासा

झरखंडेक माटिक पहचान के, भासा

बढ़-पुरनिआ साहितेक मान समानेक भासा

हमर माइ माटिक खोरठा मासा

आइज नांइ कल अपनावे हत्तउ ।।

दूसरी कविता – आज के युवाओं को एक संदेश देना चाहते हैं कि अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे कामयाबी अवश्य मिलेगी । उनकी यह कविता देखी जाए

पानी का बुलबुला नाँय ,तो झरना बन।

पचायक पइत चुनोती, तोंय आगे बढ़।।

नाय देख मुँह केकरो,खुदे पर कर आकीन।

भटक नाँय जिनगी, तू आगे बढ़।।

आँख खोल चल डहरे, नजर रख मंजिले,

भटक मत  डहरे, तू आगे बढ़ डहरे।।

मुश्किल पइले जिनगी , इंसानियत के बन मिसाल।

भटक मत जिनगीए, नजर रख मंजिलें।

तू आगे चल डहरे, तू आगे बढ़ डहरे।।

उबड़ खाबड़ जिनगीक डहरे, तू चल अपन करम डहरे।

जइसन तोर नियत, तइसन तोर डाहर।

नजर रख मंजिले, तू आगे बढ़।।

डगरे कांटा, कांटा उठाईक आगे बढ़।

जिनगीक पइत करवटे कांटा, कांटा उठाइक तू आगे बढ़।।

दुखे रहतउ नाँय कोइए ठाड़ , सूखे , भिड़े रहतउ ठाड़।।

पानी का बुलबुला नाँय , तो झरना बन।

पचायक पइत चुनोती, तोंय आगे बढ़।।

भटक नाँय जिनगी, तू आगे बढ़।।

                                                                                                                                                             आलेख :-चंचला आर्यन 

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