झारखण्ड के जनजातिय चीक बड़ाईक | Jharkhand ke Chick Badaik janjati

चिक बड़ाई (Chick Badaik) एक आदिवासी जनजाति है, जो मुख्य रूप से भारत के कुछ राज्यों में निवास करती है। यह जनजाति अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं, लोककथाओं, जीवनशैली और सामाजिक संरचना के लिए जानी जाती है। परम्परागत रूप से लघु उद्योगों द्वारा अपनी जीविका चलाने वाली जनजातियों में से चिक बड़ाई (Chick Badaik) एक है। यह जनजाति अपनी कार्यकुशलता एवं दक्षता के कारण अपने पड़ोसियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। इस कारण गांववालों के साथ इनका ‘सिम्बायोटिक’ सम्बन्ध होता है। 2001 की जनगणना के अनुसार इनकी कुल आबादी 40,339 है। झारखण्ड के अतिरिक्त यह जनजाति पश्चिम बंगाल में भी पायी जाती है। चिक बड़ाई (Chick Badaik) का मुख्य पेशा कपड़ा बुनना है लेकिन आजकल बाजार में मिल के कंपड़े आ जाने से उनका उद्योग ठप हो गया है। युवा पीढ़ी के लोग भूलते जा रहे हैं कि हमारे पूर्वज कपड़ा बनाने में दक्ष तथा कुशल थे। आज बहुत कम घरों में यह व्यवसाय देखा जाता है। अपने करघों को घर के बरामदे में ही फीट करते हैं ताकि रौशनी मिलता रहे। बुनकर सामानों में हथा, भौरी, आरी, भरना आदि मुख्य है।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति काभौगोलिक स्थिति

चिक बड़ाई (Chick Badaik)  जनजाति विशेष रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। यह जनजाति मुख्य रूप से पहाड़ी और जंगलों वाले इलाकों में निवास करती है, जहाँ वे परंपरागत रूप से कृषि, वनों से प्राप्त संसाधनों और पशुपालन पर निर्भर रहते हैं।

झारखंड में चिक बड़ाई (Chick Badaik)  जनजाति एक कम ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण आदिवासी समुदाय है। यह जनजाति मुख्य रूप से राज्य के कुछ विशिष्ट इलाकों में पाई जाती है, जहाँ वे अपनी पारंपरिक जीवनशैली और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हैं।झारखंड में यह जनजाति खासकर गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी और रांची जिलों में निवास करती है। ये क्षेत्र जंगलों और पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, जो इस समुदाय के पारंपरिक जीवनयापन के लिए अनुकूल हैं।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का भाषा और संस्कृति

इस जनजाति की अपनी एक विशिष्ट भाषा और बोली होती है, जो उनकी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालाँकि, अधिकांश लोग अब हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएँ  बोलते हैं।

  • यह जनजाति अपनी स्थानीय बोली में संवाद करती है, जो झारखंड की अन्य आदिवासी भाषाओं से मिलती-जुलती हो सकती है।
  • इनके लोकनृत्य, संगीत और पारंपरिक त्योहार झारखंड के अन्य आदिवासी समुदायों से जुड़े होते हैं।
  • धार्मिक रूप से ये प्रकृति-पूजक होते हैं और पूर्वजों की आराधना करते हैं।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का गोत्र

चिक बड़ाई (Chick Badaik)  के बीच मुख्य रूप से तीन गोत्रों यथा तनरिया, खम्भा और तजना का पता चलता है। परन्तु इन गोत्रों के बारे में उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का संस्कृति और परंपराएँ

  1. पारंपरिक परिधान – पुरुष और महिलाएँ पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं, जिनमें प्राकृतिक रंगों और स्थानीय रूप से बनाए गए कपड़े शामिल होते हैं।
  2. नृत्य और संगीत – जनजाति के लोगों का लोकनृत्य और संगीत महत्वपूर्ण होता है, जो उनके त्योहारों और सामाजिक आयोजनों का हिस्सा होते हैं।
  3. धार्मिक आस्थाएँ – प्रकृति और पूर्वजों की पूजा इस जनजाति की धार्मिक मान्यताओं का मुख्य आधार होती है।
  4. खान-पान – इनका भोजन मुख्य रूप से वनस्पति, जड़ी-बूटियों, कंद-मूल और पारंपरिक अनाजों पर आधारित होता है।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति काआर्थिक जीवन

चि क बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति के लोग पारंपरिक कृषि, शिकार, वनोपज संग्रह, मछली पकड़ने और हस्तशिल्प में संलग्न होते हैं। आधुनिक समय में, कुछ लोग मजदूरी और सरकारी योजनाओं के माध्यम से भी अपनी आजीविका चला रहे हैं।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का  समाज और रीति-रिवाज

इस जनजाति में समुदाय-आधारित जीवन शैली होती है, जहाँ परिवार और समाज के लोग एक-दूसरे के सहयोग से जीवन यापन करते हैं। विवाह और अन्य सामाजिक समारोहों में सामूहिक भागीदारी होती है।कई गांव मिलकर ग्राम परिषद बनाते हैं जिसका मुखिया राजा कहलाता है। देवान तथा पानरे इसके सहयोगी होते हैं। ये पद वंशानुगत होते हैं तथा बड़ा पुत्र अधिकारी होता है।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का सरकार द्वारा सहायता और चुनौतियाँ

सरकार इस जनजाति के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम चला रही है। फिर भी, आधुनिकरण, वन संसाधनों की कमी और आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ उनके सामने बनी है।

चिक बड़ाई (Chick Badaik) जनजाति का  सरकार की योजनाएँ और चुनौतियाँ

झारखंड सरकार द्वारा विभिन्न आदिवासी विकास योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ चिक बड़ाई जनजाति को भी मिलता है, जैसे:

  • वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि अधिकार
  • पलायन रोकने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मनरेगा
  • आदिवासी छात्रवृत्ति और आवासीय विद्यालय

निष्कर्ष

झारखंड में चिक बड़ाई जनजाति अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं के साथ एक महत्वपूर्ण आदिवासी समुदाय है। इनके संरक्षण और विकास के लिए सरकारी सहायता के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है।

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