एंग्लो इंडियन गांव मेक्सलुस्कीगंज | anglo indian village mccluskieganj

 मेक्सलुस्कीगंज mccluskieganj एंग्लो इंडियन का एक छोटा सा गांव है ।जहां 1933 ईसवी में लगभग 365  परिवारों ने यहां आकर बसा और आज वर्तमान में मात्र 13 एंग्लो इंडियन इस गांव में रह रहे हैं। मेक्सलुस्कीगंज mccluskieganj  झारखंड राज्य के रांची जिला अंतर्गत खलारी प्रखंड में स्थित है । झारखंड के इस घने जंगलों में एंग्लो इंडियन (anglo indian village mccluskieganj) क्यों आकर बसे और आज इस गांव को छोड़कर क्यों चले गए ? यह एक शोध का का विषय है।

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एंग्लो इंडियन (anglo indian village mccluskieganj):- 

एंग्लो इंडियन वैसे भारतीय  समुदाय को कहते है । जिसका माता-पिता या कोई पूर्वज यूरोपियन हो । अंग्रेजी शासन काल के दौरान भारत मे आनेवाले अंग्रेज या अन्य यूरोपियन यँहा के महिला या पुरुष से विवाह कर लिए उस से उत्पन शान्तं को एंग्लो इंडियन कहते है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366(2) एंग्लो इंडियन को परिभाषित किया गया है। भारतीय सरकार अधिनियम 1935 में  एंग्लो इंडियन मुख्य रूप से यूरोपीय व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया गया है।भारीय संविधान के अनुच्छेद 331 और 333 में  क्रमशः राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा में एंग्लो इंडियन को मनोनीत करने का प्रावधान किया गया है। वर्तमान राज्य सभा मे केरल के रिचर्ड हे और पशिम बंगाल के जार्ज वेकर  मनोनीत सदस्य हैं।झारखंड विधानसभा के मनोनीत एंग्लो इंडियन सदस्य जी. जे. गॉलस्टेन है।

झारखंड में एंग्लो इंडियन का गाँव (anglo indian village mccluskieganj)

झारखंड के जिला रांची , प्रखण्ड खलारी में के नजदीक घने जंगलों के बीच  चमा,रामदगादो,केडल, दुली,कोंनका,मया पुर,महुलिया, हेशाल, और लपरा जैसे  आदिवासी गाँवो के बीच  मेंक्सलुस्की गंज बसा है। यँहा सड़क और रेलमार्ग से पहुँचा जा सकता है। टोरी – बरकाकाना रेलवे स्टेशन के बीच मैक्लुस्कीगंज स्टेशन स्थित है। झारखंड राज्य के जिला मुख्यालय रांची से करीब 65 किलो मीटर दूर रांची – खलारी सड़क मार्ग पर स्थित है। टोरी चँदवा (NH99) से करीब 25 किलोमीटर खलारी सड़क मार्ग पर(anglo indian village mccluskieganj) स्थित है।

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मैक्लुस्कीगंज में एंग्लो इंडियन का इतिहा (anglo indian village mccluskieganj)

झारखंड राज्य के मसलुस्कीगंज में बसाया गया एंग्लो इंडियन का गाँव लिटिल इंग्लैंड ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध है। यहां एंग्लो इंडियन बसने का सिलसिला 1933 ईस्वी में प्रारंभ हुआ।इसे बसने का काम कोलोनाइजेशन सोसायटी ऑफ इंडिया  द्वारा किया गया। बसाने में प्रमुख भूमिका एंग्लो इंडियन अनरेस्ट टिमोथी ,मसीसीलुस्की, द्वारा किया गया। जो कोलकाता में प्रॉपर्टी डीलर अर्थात जमीन का कारोबार करने वाले व्यवसाई थे। मसलुस्की के पिता भारतीय रेलवे में नौकरी करते थे । नौकरी के दौरान बनारस के वाराणसी के खमण परिवार के लड़की से प्रेम हो गया समाज के विरुद्ध जाकर उस लड़की से विवाह कर लिया ऐसे में अनरेस्ट तिमोथी मैक्लुस्क बच्चपन से एंग्लो इंडियन की उपेक्षा को देखते आए थे। उस समय अंग्रेजो के द्वारा एंग्लो इंडियन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई थी। उनकी जिम्मेदारी से अंग्रेज सरकार मुंह मोड़ लिया था। एंग्लो इंडियन कि इस संकट को देखते हुए मेक्सलुस्की  महसूस किया कि एंग्लो इंडियन के लिए कुछ कर गुजर ना होगा और उसने एंग्लो इंडियन को एक सूत्र में बांधने के लिए मसलुस्कीगंज गांव बसा दिया।

एंग्लो इंडियन गांव मेक्सलुस्कीगंज(anglo indian village mccluskieganj) का बसना

मसलुस्की किसी काम के सिलसिले से इस इलाके में आया करते थे यहां के वातावरण आबोहवा ने यहां रुकने के लिए मजबूर कर दिया जंगल झरनों के बीच इस प्राकृतिक सौंदर्य स्थल को महसूस कि नहीं एंग्लो इंडियन के लिए गांव बसाने के लिए कार्य करना प्रारंभ कर दिया मेरा तो महाराज से लीज पर 10 एकड़ जमीन खरीद ली और इस गांव की न्यूज़ रखती यह सब संभव इसलिए हुआ कि वे एक प्रॉपर्टी डीलर थे इसके बाद एक से एक खूबसूरत बंगले बनने का सिलसिला प्रारंभ हो गया देखते देखते देशभर के एंग्लो इंडियन यहां आकर बसने लगे एंग्लो इंडियन परिवार एक उपेक्षित परिवार थे इसलिए एक अलग दुनिया में बसना चाहते थे जहां सुकून की जिंदगी जी सकें वे लोग मैक्लुस्की से जमीन खरीदते और खूबसूरत बंगले बना दे चलेंगे हालांकि इन लो इंडियन का कारोबार पूरे भारत में था छुट्टियों के दिनों में यहां बिताने का उत्तम स्थल था कुछ परिवार शहरों की कोलाहल से दूर शांति और सुकून की जिंदगी जीने के लिए इस आओ हवा में बसना तय किया था इस प्रकार पूरे भारत से एंग्लो इंडियन के 365 बंगले बनकर तैयार हो गए पश्चिमी संस्कृति का रंग ढंग फराटे दार इंग्लिश सेमिस्टर उसकी गंज लंदन जैसा लगने लगा इस जंगली इलाकों में अंग्रेजी रहन सहन उनका खानपान भारतीयों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया यह गांव काफी खुला खुला लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब यह गांव की रौनक कम होने लगा और और इससे इसके बुरे दिन देखने पड़ गए धीरे-धीरे यहां से एंग्लो इंडियन छोड़कर जाने लगे वजह थी वक्त के साथ रोजगार आधारभूत सुविधाएं आवश्यकता।

    एक वक्त ऐसा भी आया जब  anglo indian village mccluskieganj से इंग्लैंडियन एक- एक कर छोड़कर जाने लगे वजह थी इस गांव में मूलभूत सुविधा और रोजगार का भाव भारत के बड़े-बड़े शहरों में रोजगार कल कर खाने आधारभूत सुविधाएं दी जाने लगी किंतु यह गांव में इन सब से अछूता था इस गांव के ना तो रोजगार ना सुख सुविधाएं ना ही कोई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध थी इस वजह से यह गांव देखते देखते विरान होने लगा युवक अपने बुजुर्गों को छोड़कर यहां से चले गए खूबसूरत बंगले भुतहा बंगले लगने लगे अधिकांश इंग्लैंडियन परिवार भारत के अन्य बड़े शहरों में बस गए या तो वापस इंग्लैंड चले गए आज  कुछ गिने-चुने परिवार अपने बच्चे हुए। 

मसलुस्कीगंज  में एंग्लो इंडियन की स्थिति
KITTY TEIXEIRA
KITTY TEIXEIRA

मैक्लुस्कीगंज में आज मात्र 13 से 16 परिवार एंग्लो इंडियन बचे हुए हैं जिनकी स्थिति पहले वाले एंग्लो इंडियन जैसी नहीं है। आज वे तो फराठेदार इंग्लिश बोलते हैं किंतु बदन पर मेले कुचले कपड़े पेट पालने के लिए भेड़ बकरी चराते हुए खेतों में काम करते नजर आते हैं। इनेलो इंडियन की स्थिति उनके बंगलों जैसी हो गई है बंगले पहले जैसा गुलजार नहीं है रंग रोगन नहीं है खिड़की टूटे हुए हैं प्लास्टर के कपड़े छूट रही है भारत में बना एंग्लो इंडियन का यह गांव आज तिनके तिनके कर बिखर रहा है आलीशान कोठी कुछ कहती है इसे देखने पर मन को टिस सी उठती ।

मसलुस्कीगंज वीरान होने की वजह

जिस दौर में मसलुस्कीगंज बसा था वह अंग्रेजों का दौर था। 1947 मैं भारत स्वतंत्र होने के साथ यहां से अंग्रेज लौट गए मैक्लुस्कीगंज विरान होने लगी वजह यह भी है कि देश आजाद होने के बाद बड़े-बड़े शहर तरक्की करने लगे किंतु यह लोग एक छोटे से गांव में ही रहे उनके जमा पूंजी इस गांव में खर्च हो गए अपने आने वाले पीढ़ी के लिए कुछ नहीं बचा जो समझदार थे वह रोजगार की तलाश में या अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए इस गांव को छोड़कर चले गए या इस गांव को छोड़ना उचित समझ जो इस गांव में छोड़ कर चले गए शायद आज इस गांव को इस गांव को देखकर खुश होंगे ।

एंग्लो इंडियन गांव मेक्सलुस्कीगंज में  पर्यटन सम्भावना

मुस्लस्कीगंज फिर से गुलजार करने के लिए एजुकेशन हब बनाने के लिए सरकार को पहल करना चाहिए उस दौर के उनके बंगले को देखने आज भी विश्व के लोग आते हैं। ऐसे में इस स्थल को पर्यटक के रूप में विकसित करना चाहिए ।यंहा देखने योग्य है-

  • सर्व धर्म सभा स्थल:-
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  • सेठ जॉन चर्च:-
  • मुस्लस्कीगंज रेलवे स्टेशन:-
  • डॉन बॉस्को स्कूल
  • डुगडुगी नदी और जागृति विहार
  • गार्डन अतिथि सदनइ त्यादि
  • यहाँ रहने वाले एंग्लो इंडियन के परिवार।

 

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