खोरठा संज्ञा | khortha sangya

खोरठा व्याकरणिक विशेषता :-संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, कारक,वचन,लिंग, उपसर्ग, प्रत्य,पर्यावाची, समास इत्यादि।

khorta vyakarn or rachan
khortha-bhasha-ki-lipi

व्याकरणिक विशेषता :- संगिया 

संगिया:- बइसन सबदेक कहल जा हे जेकर से कोन्हो ठांउ , चीज , बसुत बा कोन्हों बेकइत आर भाव के वोध हबो हइ।जइसे गिद्धोर,चतरा, भोदली, पारसनाथ ,चीज –आलू,प्याज,रोटी बेकइत  – सम्राट अशोक,बिरसा,बाबू जगदेव, श्री निवास पानुरी

  संगिया के भेद-  विउतपति अधारे –

1.रूढ़2.जउगिक3.जोग रूढ़
लोटा,   खाइघर   चारगोड़वा
भीठा    घरघरवारी   अठघोरी

1. रूढ़:- वइसन संगिआ सबद जेकर नामकरने बा नारमधरते मोटा – मो कोन्हें तर्क – कार्य करन लस्तंगा नांञ् । सोझा – सोझी नाम धइर देल जा हइ। उकरा रूढ़ कहल जा हैं । जैसे लोटा,बरी, भीठा, ई शब्द के कोन्हों  सारथक अर्थ नांय जइसे – लो + टा , भी + ठा , ची + रा

2. जउगिक – संगिआक वबइसन सवदेक जोगिक कहल जा हे दूगो फरका – फरकी माने रखे वाला के सार्थक मेल के जउगिक कहल जा हे मने – खंड – वा वाटेक बाद दुनो खंड के वेगर – वेगर माने फुरछा हे।खाइघर = खाइ + घर घरवारी = घर + वारी घर दमदुआ घर + दमदुआ

3. जोउग रूढ़ :-संगिआ के बइसन सबद गुलाक जोग रूढ़ कहल जा – हे जे दुगो फरका – फरकी माने रखेवाला सबदेक मेल से बनो – हे । मकिन दुनु मूल सबदेक अरथा भिनु भिनु अरथ फुरछा- हे आर कोन्हो दोसर अरथर ले रूढ़ भइ जा है , उकरा जोग रूढ़ कहल  जा हे  जैसे  चारगोड़वा = चाइर + गोड़वा = मने बकरी बा सुअर अठघोरी = आठ + घोरी = मालगरू सटल रहे – हे । गोबर गनेस धोंद बेकइत के कहल जाहे । सतरंगी ( इंद्रधनुष ) के कहल जा है । पइन सोखा – अंधेरे आर सांइझ बेरा रोदांञ् गिरत पानी समंइ दिखाइ पड़ेवाला।

khortha book

अरथ बिचारें संगिआक भेद

1. वेकइत बाचक
2. जाति बाचक
3.गोठ बाचक
4.भाव बाचक
5.दरब बाचक

जातिवाचक :- जेकर से गोटे जाइत समुदाय बोध हव हे , जइसे गरूडागर , टोगरी पहार

बेक़त वाचक :- कोन्हो खास बेकइत , ठांउ जीनस , नाम फुरछा है । केलहुआ पहार , भादेली , बिरसा मुंडा , दामोदर

भाव वाचक:-जे कोन्हो सबद से कोन्हो चीजेक , अवस्था स्थिति आर भाव के बोध हव हे । बुढ़ारी , फुरचइकी , मोटाइकी , ढढ़नइच।

समूह वाचक :- समूह के बा बेकइत वसतु बोध हव हे उकरा समूह वाचक कहल जा हे । गोहड़ा , जतरा , घोउद , गुहाइल , बरात।

दरब वाचक:-जे संगिआ से कोन्हो नाप तोल के बोध हव हे उकरा दरब वाचक कहल जा हे । एकसेर , दुआना , चाइर पेसेरी , एकटीन ।

संगिया बनवेक नियम

परिभाषा – भाव वाचक संगिआ बइसन सबदेक कहल जा हे जेकर से को भाव के बोध हव है । जइसे ढढ़नच , लुइरगर , खोरठा भासांञ् जे भाववाचक बनवे  निइम हे एकदम एकर आपन हके ई दोसर भासाक लेन देन से नांञ बनल हे ।

जाती व वाचक संगिआ से भाववाचक बनवेक नियम

जातिवाचक संगिआभाववाचक संगिआ
बुढ़ा

पांडे

घोड़ा

मालिक

 बुढ़ारी

 पांड़ेगिरी

 घोड़गिरी

 मालिकगिरी

 विसेसन से जातिवाचक बनवेक नियम :

विसेसन     भाववाचक
गरम गरमाहा
चतुर चतुराही
मोटा मोटेलही
सुखल सुखलाही
हरा हरहरि

खोरठा भासाञ् संइगाक तीन रूप पावल जा हे :-

प्रथम रूपद्वितीय रूपतृतीय रूप
सोनारसोनरासोनरवा
लोहारलोहरालोहरक
भातभाताभतवा
पेटपेटापेटवा

उपरेक परतइरें सोनार सबदें आदर बोधा हइ माकेन सोनरा संइगा रूपें अनादर बोध हइ जबकि संगिया तिसरका रूप सोनरवा में निश्चितता के बोध ,जइसे – सोनरवा के देलिए ।

नोट:-विशेष जानकारी के लिए खोरठा व्याकरण और रचना  लेखक डॉ आनन्द किशोर दाँगी का पुस्तक पढ़ सकते है ।

                                                                                            –डॉ आनन्द किशोर दाँगी,(जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विशेषज्ञ)

 

 

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