जीव जंतुओं को पालना मनुष्यों का आदिम प्रवृति है। मनुष्य अपने स्वार्थ ,अपने शौक के लिए घरों में पालतू जानवरों ,जीव जंतुओं को पालते आ रहे हैं। अन्य जीवो की तरह मछलियों को भी घरों में पालने लगे। घरों में मछलियों को पालने की विधि का श्रेय प्राचीन रोम वासियों को जाता है। धीरे-धीरे इस विधि को संसार के अन्य देशों ने भी इस शौक को अपना लिया। आज के समय में सजावटी मछलियों को पालने की यह विधि बहुत लोकप्रिय होते जा रही है क्योंकि यह अन्य पालतू जानवरों की अपेक्षा कम खर्चीली एवं इसके देखभाल में कम परेशानी होती है। इन रंग बिरंगे मछलियों का आकर्षण मनुष्यों को काफी भाता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह मनुष्यों के मना है स्थिति के लिए बहुत ही शांति दायक होती है । ज्योतिष के अनुसार घर में रखना सुख समृद्धि का प्रतीक है जिस कारण मछलियों को एक्वेरियम ( Fish in the Aquarium ) में घरों में रखते हैं। आजकल यह परंपरा घरों से निकलकर प्रतीक्षालय, होटल, अस्पताल ,पर्यटन स्थलों इत्यादि जैसे स्थलों में एक्वेरियम में रंगीन अलंकारी मछलियों को रखा जाता है। एक्वेरियम ( Aquarium ) में रंगीन अलंकारी मछलियों का रखरखाव विशेष महत्व रखता है। जैसे एक्वेरियम ( Aquarium )की आकृति, मछलियों की प्रजातियां, जलीय पौधों का चयन, तापमान, प्रकाश ,घुलनशील ऑक्सीजन की आवश्यकता, जल का गुण, मछलियों का आहार एवं सामान्य देखरेख इत्यादि महत्वपूर्ण है।
एक्वेरियम( Aquarium ) का आकार
एक्वेरियम( Aquarium ) पूर्ण रूप से शीशे का बना होता है। ऐसे खरीदते समय विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
एक्वेरियम बिछाए जाने वाले छोटे छोटे पत्थर कंकड़ सतह के नीचे कम से कम 2 इंची की ऊंचाई तक होनाा चाहिए
बिछडेगे कंकड़ की सतह सामने की ओर ढलान होना चाहिए ताकि मछली द्वारा त्यागे गई मल एवं अन्य गंदगी ढोलक कर सामने सता पर जमा हो जाए। और प्लास्टिक के पाइप द्वारा बाहर निकल सके
कंकड़ का आकार अधिक छोटा नहीं होना चाहिए नहीं तो फिल्टर तथा पाइप में जल के बहाव को रोक सकता है। तथा इतना बड़ा भी नहीं होना चाहिए जिसमें मछली का आहार फस कर रह जाए और मछली खा नहीं सके। इस प्रकार के आहार से जल को प्रदूषित कर सकता है।
कंकड़ का आकार 2 से 3 सेंटीमीटर, अनुमोदित है।
यदि एक्वेरियम का आकार 60 सेंटीमीटर लंबा x 30 सेंटीमीटर चौड़ा x 38 सेंटीमीटर ऊंची आकृति है तो लगभग 8 किलोग्राम अनुमोदित आकार के कंकड़ की आवश्यकता होती है।
स्वच्छ जल एक रियल में डालना चाहिए। जल का पीएच 6 . 8 से 7 . 5 होना चाहिए।
एक्वेरियम( Aquarium ) के पीछे वाले शीशे की दीवार को हरे रंग या भूरे रंग से रंग दिया जाता है जिसे सवाल केवल रंगे हुए भाग में ही अधिक जमता है।
एक्वेरियम( Aquarium ) में जलीय पौधा क्यो रिखा जाता है
यह सजावट में काम आता है
मछलियों के लिए आश्रय का काम करता है
मछलियां जलीय पौधे के पत्तों में अपना अंडा देती है
जलीय पौधों द्वारा मछलियों द्वारा ससन क्रिया में
मछलियों द्वारा छोड़ेंगे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करती है एवं मछलियों को आक्सीजन प्रदान करती है।
रात के समय जलीय पौधे ऑक्सीजन देने के बजाय ऑक्सीजन ग्रहण करती है और कार्बन डाइऑक्साइड देती है इसलिए ऑक्सीजन का उचित मात्रा में आपूर्ति करने के लिए एयरेशन यंत्र का प्रबंधन किया जाता है।
जलीय पौधे का चुनाव एवं रख रखाव
एक्वेरियम ( Aquarium ) में रखने के लिए मुख्य जलीय पौधे का चयन क्या जाता है हाइड्रिला ,वेलिसनेरिया, एकिनोडोरस, कॉम्बो, सेराटोफाईलाम,एजोला, इत्यादि।
जलीय पौधों को लगाने के पूर्व उसे भली-भांति साफ जल से धोकर 5 मिलीग्राम लेटर तूतिय या साधारण नमक के घोल में 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए ताकि जली किट घोंघा तथा रोक वाहक परजीवी कीटों के अंडे इत्यादि मछली के घर में प्रवेश ना कर सके।
एक्वेरियम में प्रकाश की व्यवस्था
Aquarium उचित मात्रा में प्रकाश की व्यवस्था आवश्यक है इसके लिए सबसे पहले Aquarium को अवश्य स्थानों पर रखना चाहिए जहां प्रकाश अप्रत्यक्ष रूप से आता हो यदि सूर्य के प्रत्यक्ष किरने मछलियों के लिए हानिकारक नहीं है। लेकिन प्रत्यक्ष किरणों के कारण पानी एवं शीशे की दीवारें में शैवाल अधिक मात्रा में जमने लगती है। जिसके फलस्वरूप पानी हरा दिखने लगता है ,और जल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ जाती है ।ऐसी स्थिति में एक्वेरियम के पीछे वाले शीशे की दीवार को हरे रंग या भूरे रंग से रंग दिया जाता है जिसे सवाल केवल रंगे हुए भाग में ही अधिक जमता है।
यदि उचित मात्रा में प्रकाश की व्यवस्था नहीं है तो वैसे स्थिति में कृत्रिम प्रकाश जैसे विद्युत बल 25 से 60 वाट या ट्यूबलाइट इत्यादि की व्यवस्था की जानी चाहिए।
मछलियों के लिए ऑक्सीजन
मछलियों को उचित मात्रा में आक्सीजन प्रदान करने के लिए एरेटर की व्यवस्था की जानी चाहिए । एक्वेरियम में निचले सतह से कुछ ऊपर वाले स्थान पर एडिटर को रखा जाता है। एयरटेल से जल के बुलबुले के द्वारा ऑक्सीजन का बहाव होता है। जिसे ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और तापमान नियंत्रित रहता है।
मछलियों के लिए भोजन
एक्वेरियम ( Aquarium )में रखे हुए मछलियों के लिए भोजन दो प्रकार का होना चाहिए पहला जैविक भोजन और दूसरा कृतिम भोजन। जैविक भोजन हिटिंग कप के माध्यम से देना चाहिए। इस प्रकार के भोजन में केचुआ ट्यूबोंफ़िक्स,डेफनीया इत्यादि। कृतिम भोजन के रूप में धान की भूसी धनिया गेहूं के चोर इत्यादि दिया जाता है। कृतिम भोजन को एक बार नहीं डालना चाहिए बल्कि चुटकी भर लेकर चारों और चीट कर देना चाहिए।
दो-तीन महीने के अंतराल में मछलियों को एक या 2 दिनों के लिए भोजन नहीं देना चाहिए । इस प्रकार करने से मछलियों के स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
एक्वेरियम( Aquarium ) में रखे जाने वाले मछलियों की सँख्या
एक्वेरियम में रखे जाने वाले मछलियों की संख्या एक्वेरियम के आकार ,जल में पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा की आपूर्ति पर निर्भर करता है।
एक्वेरियम( Aquarium ) में रखे जाने वाले मछलियों की प्रजातियां
इंडियन ग्लास फिश:-चंदा मामा, चंदा रंगा।
कार्प मछली:- गोल्ड फिश ब्लैक रूबी टाइगर बार्ब, रोजी बार रेट सा रेड रासबोरा डेनियो इत्यादि।
पोयसिलिया मछली:- ब्लैक मोली, गरिया,प्लेटी, सवाई तेल,गुबुसिया इत्यादि।
सिचडील मछली:-डिस्क फिश ,एंजेल फिश, ज्वेल फिश, ऑस्कर फिश, तिलिप्या, ऑरेंज क्रोमइएड।
वायु स्वशी मछली:- ब्लू ग्रामी , किसोन गोरमी, हानि गोरामी, जायंट गौरमी, पैराडाइस फीस।
एक्वेरियम ( Aquarium )में रखे जाने वाले मछलियों को उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर यदि रखा जाए तो मछलियां स्वास्थ्य अच्छा रहता है ओर लंबे समय तक अबकी घरों की शोभा बढ़ाते रहते हैं।
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