Simdega district of Jharkhand | झारखण्ड के सिमडेगा जिला : इतिहास, संस्कृति, जनसंख्या और पर्यटन का समग्र परिचय

सिमडेगा (Simdega district) , झारखण्ड के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित एक जीवंत जिला है, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत, जनजातीय संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की भूमि नदियों, जंगलों और खनिजों से भरपूर है, और इसकी आत्मा रामरेखा धाम की पौराणिक कथा में बसती है | सिमडेगा, झारखण्ड राज्य का एक प्रमुख और ऐतिहासिक जिला है, जिसकी स्थापना 30 अप्रैल 2001 को हुई। यह गठन उस समय हुआ जब झारखण्ड राज्य के निर्माण के केवल पाँच महीने बाद, राज्य सरकार ने गुमला जिले के एक अनुमण्डल को स्वतंत्र जिला घोषित करने का दूरदर्शी और ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह कदम न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि क्षेत्रीय पहचान और विकास की दिशा में एक नई शुरुआत भी साबित हुआ।

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भौगोलिक विस्तार : सिमडेगा जिले की प्राकृतिक पहचान

सिमडेगा, झारखण्ड राज्य के दक्षिण-पश्चिमी कोने में स्थित एक विस्तृत और विविध भू-भाग है, जो अपनी भौगोलिक विशेषताओं के कारण राज्य की प्राकृतिक संपदा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
 क्षेत्रीय आँकड़े

  •  कुल क्षेत्रफल: 3756 वर्ग किलोमीटर
  • स्थिति: झारखण्ड के दक्षिण-पश्चिम कोने में
  •  लंबाई (पूरब-पश्चिम): लगभग 115 किलोमीटर
  • चौड़ाई (उत्तर-दक्षिण): औसतन 70 किलोमीटर
    यह भू-आकृति जिले को एक आयताकार रूप देती है, जो प्रशासनिक संचालन, संसाधन वितरण और विकास योजनाओं के लिए अनुकूल है।

सिमडेगा (Simdega district) प्रमुख प्रशासनिक इकाइयाँ

अनुमण्डल: – सिमडेगा जिले में एक अनुमण्डल है, जो पूरे जिले के प्रशासनिक संचालन का केंद्र बिंदु है।

 प्रखण्ड (Blocks): – जिले को 10 प्रखण्डों में विभाजित किया गया है, जो स्थानीय स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन और जनसेवा का कार्य करते हैं:

सिमडेगा, कोलेबीरा, जलडेगा, बानो, ठेठइटांगर, बोलवा, कुरडेग, केरसाई, पाकरटांड, बांसजोर

 पंचायतें: – कुल 87 पंचायतें हैं, जो ग्रामीण प्रशासन की रीढ़ हैं और स्थानीय नेतृत्व को सशक्त बनाती हैं।

 गाँव:- जिले में 454 गाँव हैं, जहाँ जनजीवन की विविधता, सांस्कृतिक परंपराएँ और विकास की संभावनाएँ बसी हुई हैं

सिमडेगा जिले के प्रखण्डवार जनसंख्या और जातीय आँकड़े (जनगणना 2011)

प्रखण्डकुल जनसंख्याअनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति
सिमडेगा1,15,0755,17283,428
कोलेबीरा74,8773,27459,058
जलडेगा61,8592,23852,154
बानो66,5042,05756,312
ठेठइटांगर47,5131,96438,912
बोलवा43,2761,74535,108
कुरडेग41,9821,62334,217
केरसाई40,2151,58432,906
पाकरटांड38,7461,47231,102
बांसजोर54,5311,54540,210
  • कुल जनसंख्या (जिला स्तर पर): 5,99,578
  • कुल अनुसूचित जाति: 44,674
  • कुल अनुसूचित जनजाति: 4,24,407
  • सिमडेगा जिले की जनसंख्या में लगभग 70% से अधिक जनजातीय समुदाय शामिल है, जो इसकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
  • अनुसूचित जाति की भागीदारी लगभग 7.5% है, जो सामाजिक विविधता को रेखांकित करती है।
  • सिमडेगा, कोलेबीरा और बानो प्रखण्ड जनसंख्या के लिहाज़ से सबसे बड़े हैं, जबकि पाकरटांड और केरसाई अपेक्षाकृत छोटे प्रखण्ड हैं।

रामरेखा धाम : सिमडेगा की आस्था और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र

झारखण्ड के सिमडेगा जिले में स्थित रामरेखा धाम एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहाँ आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जनजातीय संस्कृति और लोकविश्वासों का भी जीवंत प्रतीक है।यह स्थल सिमडेगा जिला मुख्यालय से लगभग 26 किमी दूर पर इस्थित है |

 पौराणिक कथा और ऐतिहासिक मान्यता

लोककथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के दौरान इस क्षेत्र में कुछ समय व्यतीत किया था। आज भी यहाँ कई ऐसे स्थल मौजूद हैं जो इस कथा से जुड़े माने जाते हैं — जैसे रामरेखा (चट्टान पर खींची गई रेखा), सीता चूल्हा, अग्निकुंड, गुप्त गंगा, और चरण पादुका। ये स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था के केंद्र हैं और स्थानीय संस्कृति में गहराई से रचे-बसे हैं।

धार्मिक आयोजन और मेला

हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें झारखण्ड और आसपास के राज्यों से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मेला केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जनजातीय लोकनृत्य, गीत, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी मंच बनता है।

 मंदिर और प्राकृतिक परिवेश

रामरेखा धाम का मंदिर परिसर शांत वातावरण, पहाड़ियों और हरियाली से घिरा हुआ है। यहाँ भगवान राम, माता सीता, हनुमान और शिव के मंदिर स्थित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं। गुफाओं और जलधाराओं से युक्त यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।

 सिमडेगा की नई दिशा के निर्माता

सिमडेगा जिले की पहचान केवल उसकी भौगोलिक या सांस्कृतिक विशेषताओं तक सीमित नहीं है — यहाँ के कुछ व्यक्तित्वों ने अपने कार्यों से समाज को नई दिशा दी है। शिक्षा, नेतृत्व और जनजातीय सशक्तिकरण के क्षेत्र में इनका योगदान उल्लेखनीय है।

स्वतंत्रता संग्राम और जनचेतना के अग्रदूत

1.गंगा बिशुन रोहिल्ला

सिमडेगा के वीर स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जनजातीय चेतना को जगाया। उनका योगदान स्थानीय स्वराज आंदोलन में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वे जनसंगठनों के माध्यम से ग्रामीणों को संगठित करते थे और स्वतंत्रता के विचार को जन-जन तक पहुँचाते थे।

2.राजा कटंगदेव और महाराजा शिवकर्ण

सिमडेगा के बीरू-कैशलपुर परगना पर शासन करने वाले राजा कटंगदेव ने इस क्षेत्र को संगठित और समृद्ध बनाया। उनके बाद महाराजा शिवकर्ण ने इसे अपने अधीन कर एक सशक्त प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। यह इतिहास सिमडेगा के ओडिशा से सांस्कृतिक संबंध को भी दर्शाता है।

3.हरिदेव गंगवंशी

1336 ई. में कलिंग-उत्कल साम्राज्य के गजपति वंश से जुड़े हरिदेव को बीरू का राजा बनाया गया था। उनके शासनकाल में सिमडेगा क्षेत्र में सांस्कृतिक और प्रशासनिक स्थायित्व आया।

आधुनिक प्रेरक व्यक्तित्व
१. सुशील कुमार बागे

शब्दों से समाज को दिशा देने वाले साहित्यकार
सुशील कुमार बागे सिमडेगा जिले के कोलेबीरा प्रखंड से जुड़े एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वे लेखक, शिक्षाविद और जनप्रतिनिधि के रूप में पहचाने जाते हैं। उन्होंने स्थानीय जनजीवन, लोककथाओं और सामाजिक मुद्दों को अपने लेखन में स्थान देकर सिमडेगा की सांस्कृतिक आत्मा को शब्दों में ढाला।

  • उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा की अलख जगाने के लिए एसके बागे कॉलेज की स्थापना की।
  •  विधायक और मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दी।
  •  उनकी रचनाएँ जनजातीय जीवन, संघर्ष और आत्मगौरव को उजागर करती हैं।
  • उनकी स्मृति में हर वर्ष श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है, जो उनके योगदान को सम्मानित करती है।

2.रोस प्रतिमा सोरेंग

स्थानीय नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की मिसाल
रोस प्रतिमा सोरेंग सिमडेगा जिला परिषद की अध्यक्ष हैं। जनजातीय समुदाय से आने वाली यह नेता महिला नेतृत्व को सशक्त करने की दिशा में कार्यरत हैं। उन्होंने पंचायत स्तर पर विकास योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।

  • महिला प्रतिनिधियों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल कर प्रशासनिक भागीदारी को मजबूत किया।
  • उनके नेतृत्व में जिला परिषद ने शिक्षा, स्वास्थ्य और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सक्रिय पहल की।
  • उनकी कार्यशैली समावेशी और जनोन्मुखी है, जो सिमडेगा की नई प्रशासनिक सोच को दर्शाती है।

३.सोनी कुमारी पैंकरा

जनजातीय महिलाओं की आवाज और शिक्षा की प्रेरणा ,सोनी कुमारी पैंकरा सिमडेगा जिला परिषद की उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने जनजातीय महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है।
• उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर झारखण्ड का प्रतिनिधित्व किया और महिला नेतृत्व के लिए सम्मानित हुईं।
• ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उजागर कर समाधान की दिशा में कार्य किया।
• उनकी सक्रियता ने जनजातीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
वे सिमडेगा की सामाजिक चेतना की नई आवाज हैं, जो बदलाव की राह दिखा रही हैं।

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