झारखण्ड के हो जनजाति | Ho tribe in jharkhand

झारखण्ड की हो ( HO ) जनजाति पश्चिमी तथा पूर्वी सिंहभूम जिले में रहती है । इस क्षेत्र का उत्तरी और दक्षिणी पूर्वी भाग कृषि योग्य और जंगलों से भरा है । पश्चिमी और दक्षिणी पश्चिमी इलाका पहाड़ी और जंगली है । इस क्षेत्र अंतर्गत विश्व का प्रसिद्ध सारंडा  जंगल स्थित है । झारखण्ड में  हो ‘ का स्थान सथाल , उरॉव और मुंडा के बाद  है । ‘ हो ( HO ) ’ कोलहान के प्राचीन व मूल निवासी है या नहीं इस विषय पर ऐतिहासिक प्रमाण के आधार नहीं  हैं ।

हो (HO) जनजाति का शारीरिक गठन (Ho tribe in jharkhand) in hindi

हो (HO) जनजाति प्रोटो आस्ट्रेलायड समूह से है , इनका कद छोटा , नाक चिपटी तथा चमड़े का रंग काला होता है । इनका सीना गहरा , कंधा चौड़ा और स्वास्थ्य दुबला पतला  होता है । इनकी आंखें काली और छोटी होती हैं ।  बाल लहरदार से घुंघराले तक होते हैं । इनके मूँछ , दाढ़ीयां लगभग नहीं के बराबर होती है ।

‘ हो (HO)’जनजाति का गांव की विशेषता –

  • हो ‘ लोगों का घर ऊँची भूमि पर होता है ‘
  • हो ‘ गांव के मुख्यत स्थल हैं – अखरा , ससान और सरना ( जेहरा )
  • गांव के मध्य एक अखरा या नृत्य करने की जगह होती है जो गांव के पंचायत का सभा – स्थल का भी काम करता है ।
  • ससान – गांव की सीमान्त रेखा पर मुर्दा दफनाने की जगह होती है जिसे ससान कहते हैं ।
  • सीमान्त रेखा पर पूर्वजों की याद में श्रंखलाबद्ध पत्थर की पिटिया गड़ी रहती है जिसे पथल गाड़ई कहते है ।
  • सरना ( जेहरा ) – सरना पवित्र कुंज है । जहां गांव के देवता निवास करते हैं । यह पवित्र कुम गांव के एक छोर पर होता है  यह कुंज साल के वृक्ष से घिरे रहते हैं जिसे काटना वर्जित है । ‘
  • हो ‘ के घर की दीवारें मिट्टी की बनी होती है तथा छत या तो फूस से या खपड़ों से छाये रहते हैं ।
  • घरो के दीवारों पर   दीवाल चित्रण की परम्पराचली आ रही  हैं ।  इस चित्रकारी में ‘ हो ‘ संस्कृति का अबोला इतिहास दर्ज है । ‘ 
  • दीवार चित्रण में पशु – पक्षियों की आकृति बनी होती है ।

‘ हो (HO)’जनजाति का सामाजिक प्रणाली

  • ‘ हो ’ समाज की वंश परम्परा पितृसतात्मक है ।
  • गांव में कई कुल  ( खूंट )  समूह होते हैं । जिसे ‘ किली ‘ कहा जाता है । किली का नाम टोटम की वस्तु पशु , पौधा या अन्य जीव नाम पर आधारित होता है ।
  • इनके गोत्रों में पिंगुआ , सोरेन , सिंकु , बेजुली , हेमा , गोगराइ मुख्य है ।

हो (HO)’जनजाति का विवाह 

हो समाज में विवाह के अनेक तरीके हैं-

1. आंदी -आंदी एक विधिवत विवाह है तथा इससे खूब औपचारिकता से विवाह करते हैं  

, 2. अपौरटिपी ( बलपूर्वक )-इसे अनादर की दृष्टि से देखा जाता है ।

3. राजी – खुशी 

 4. घुसपैठी या अनादर ।

हो (HO)’जनजाति का आर्थिक स्थिति 

हो ’ मुख्यतः कृषक होते हैं।  जंगल से वे तरह – तरह के कन्द मूल , फल – फूल , साग – सब्जी एकत्र करते हैं ।

हो ‘ जो कल के कृषक थे आज औद्योगिक मजदूर हो गये ।

धार्मिक जीवन

  •  सिंगबोंगा ‘ मुख्य देवता है । इसके बाद ‘ नागेबोंगा ( नदी देवी ) स्थान आता है ।
  • सिंगबोंगा की स्त्री भी समझा जाता है । ‘
  • मारांग बुरू ‘ ‘ हो ‘ के पूर्वजों के घर देवता हैं ।
  • हातुर्बोगा ( ग्राम देवता ) यह पानी देता है ,
  •  गांव में ‘ देउरी ‘ ( धार्मिक पुजारी ) होता है

 हो ‘ के पर्व त्योहार

1. माघी 2. बाहा 3. डमुरी 4. होरो 5. जामनना 6. कोलोम तथा 7. बतौली ।

 माघी सबसे खास और महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे जनवरी या फरवरी में मनाया जाता है । त्योहार में जीवन साथी चुनने का भी सुअवसर प्राप्त होता है . 

 हो ‘ की  राजनैतिक प्रणाली ‘

  • प्रत्येक गांव में एक मुखिया होता है ।जिसे ‘ मुंडा ‘ कहते हैं ।
  •  एक पीर के अन्तर्गत 5 से 20 गांव आते हैं ।
  • पीर का प्रमुख ‘ मानकी ‘ कहलाता है ।
  •  मुंडा मानकी के अधीन काम करता है ।

 

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