कोयल (cuckoos) उष्णकटिबंधीय जलवायु में पाये जाने वाला प्रजाति है।यह विश्व के अंटार्टिका को छोड़कर लगभग सभी महाद्विप में पाए जाते है। कुछ प्रजातियां प्रवासी होते हैं जो ठंढे जलयु से गर्म जलयु क्षेत्रों में प्रवास करते है। कोयल कीड़े ,मकोड़े, के साथ-साथ फलों को भी खाती हैं।कोयल की कुछ प्रजातियां ब्रूड परजीवी होते है, जो अन्य अन्य पंक्षियों के घोंसलों में अपने अंडे देती हैं । खास कर भारत मे कोयल कौआ के घोंसले में अंडा देती है और रूपक कोयल के अंडे को जन्म देती हैं, लेकिन अधिकांश कोयल (cuckoos) की प्रजातियां अपने स्वयं के बच्चों को पालती हैं। कोयल हजारों वर्षों से मानव सभ्यता और संस्कृति जुड़ी है। ग्रीक पौराणिक कथाओं में देवी हेरा के लिए पवित्र पंक्षी के रूप में जानी जाती थी। दिखाई देती है। भारत में, कोयल कामदेव अर्थात इन्द्र देवता के लिए पवित्र माना गया है, जबकि जापान में, कोयल एकतरफा प्यार का प्रतीक है। भारत के झारखंड राज्य का राजकीय पक्षी भी है।

कोयल (cuckoos) की प्रजातियां:-
मेडागास्कर | विशाल कौआ |
इंडोचीन | कोरल-बिल्ड ग्राउंड-कोयल |
अमेरिकी कोयल | मल्कोहास, कूआस, कॉकल्स, और रोडरनर |
इंडो-पैसिफिक | तिमोर कोकल, बफ़-हेडेड कौकल, कैल, आइवरी-बिल्ड कूकल |
भारत | सिरकीर महकोल, जैकोबिन कोयल,गेटर कोयल,बैंडेड कोयल इत्यादि। |
ब्लैक-बिल्ड कोयल |
, चैनल-बिल्ड कोयल, 630 ग्राम का सबसे बड़ा कोयल है।
कोयल (cuckoos) का आकार
सामान्य कोयल (cuckoos) पतली और छोटी होती हैं, लगभग सभी प्रजातियों की लंबी पूंछ होती है।कोयल के पंखों का आकार जीवन शैली के साथ बदलता रहता हैं। अधिकांश कोयल की लंबी पूंछ, छोटे पैर, लंबे संकीर्ण पंख होते है। महकोल या मल्कोहा और ग्राउंड-कोयल स्थलीय कोयल होते हैं। इनका पैर लम्बी ,छोटे गोल पंख आंखों के चारों ओर चमकदार पंख और चमकीले रंग होती ।

प्रवास
कोयल (cuckoos) की अधिकांश प्रजातियां स्थाई होती हैं, लेकिन कुछ नियमित रूप से मौसमी प्रवास करती हैं। अधिकांस कोयल अपने आस पास सीमा के हिस्से में प्रवास करती हैं।प्रजनन करने हेतु एवं भोजन की तलाश में सर्दियों के दौरान गर्म जलवायु में प्रवास करती हैं।जिस कारण भारत मे सर्दियों में कोयल दिखाई नही पड़ते है ।
कुछ प्रजातियों के प्रवास इस प्रकार है –
कोयल की प्रजातियां | प्रवास |
लंबी पूंछ वाली कोयल, | न्यूजीलैंड में प्रजनन करती है |
माइक्रोनेशिया और मेलानेशिया | सर्दियों के मैदानों के लिए उड़ान भरती है |
ब्लैक-बिल्ड कोयल | उत्तरी अमेरिका में प्रजनन करती है और कैरिबियन सागर में उड़ती है, जो 4000 किमी की नॉन-स्टॉप उड़ान है। |
सिरकीर महकोल, जैकोबिन कोयल,गेटर कोयल,बैंडेड कोयल इत्यादि। | अफ्रीका से भारत के लिए उड़ान भरती हैं, |
यूरोप की सामान्य कोयल, हैं। | जो यूरोप और मध्य अफ्रीका के बीच यात्रा पर भूमध्य सागर और सहारा रेगिस्तान पर बिना रुके उड़ती |
कोयल (cuckoos) का व्यवहार
कोयल ज्यादातर अकेले रहना पसंद करता है।जोड़े में अर्थात नर और मादा साथ मे नही के बराबर साथ मे दिखाई देती है। प्रजनन के दौरान जोड़े या समूहों में रहते है। कोयल काफी सर्मिला वेवहार के होते है।कोयल की अधिकांश प्रजातियाँ, जिनमें मल्कोहास, कूआस, कॉकल्स,और रोडरनर कोयल शामिल हैं, जो स्वयं के घोंसले का निर्माण करते है। भारत में मई माह के आसपास कौआ के घोसले के आसपास मडराने लगती है और कौवे के अनुपस्थित में कौवे के घोसले में अंड दे देती है । कोयल काफी निर्दई होता है कौवे के उतने ही अंडे रहने देता है जितना अंडा वह कौवे के घोसले में देती है बाकी कौवे के अंडे को गिरा देती है ताकि यह नहीं महसूस हो कि उसके अंडे नहीं है। कौवा के अंडे और कोयल के अंडे में समानता रहता जिस कारण कोयल कौवे के घोंसले में अंडा देना उचित समझती है।
कोयल की आवाज
कोयल (cuckoos) अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती है।लेकिन कम ही लोग जानते है कि कोयल क्यो आवाज निकलती है ?दरअसल नर कोयल मादा कोयल को रिझाने की कोशिस करती है । प्रजनन काल में नर कोयल बार-बार जोर-जोर से अपनी आवाज निकाल कर मदर कोयल को बुलाने का काम करती है। आपसी सहमति होने पर प्रजनन करती है। मदर कोयल का आवाज कर्कश होती है और नर कोयल की आवाज मधुर होती।
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